6-इन-1 वैक्‍सीनेशन शिशुओं और माता-पिता के लिए बड़ा वरदान : डॉ. अमित उपाध्‍याय

मेरठ : बच्चे असंख्य कीटाणुओं के संपर्क में आते हैं, जिनमें से कुछ गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली अभी भी विकसित हो रही होती है, ऐसे में वह सभी घातक बीमारियों से नहीं लड़ सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सभी आयु समूहों में डिप्थीरिया, पर्टसिस (काली खांसी)और टेटनस जैसे संक्रमणों से होने वाली मौतों को रोकने के लिए टीकाकरण सबसे सफल सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों में से एक है। 6 इन 1 कॉम्बिनेशन वैक्‍सीनेशन (टीकाकरण) बच्चों को 6 गंभीर बीमारियों: डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस, हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी, हेपेटाइटिस बी और पोलियोमाइलाइटिस से बचाता है।
 
इस बारे में चर्चा करते हुए डॉ. अमित उपाध्याय, शिशु रोग विशेषज्ञ और नियोनेटोलॉजिस्ट, एमबीबीएस, एमडी, डीएनबी, एमएनएएमएस ने कहा, ‘‘माता-पिता नहीं चाहते कि उनका बच्चा बीमार पड़े और वे संक्रमण से बचाव के लिए टीकाकरण के कई लाभों से अवगत हैं। हालांकि, कई माता-पिता अपने बच्चे को कई इंजेक्शन लगवाने और बहुत दर्द सहने को लेकर चिंतित होते हैं। टीकाकरण का कॉम्बिनेशन  अच्छा है क्योंकि वह बच्चे को लगाने वाले इंजेक्शन की संख्या को कम करता है। बच्चे को कम दर्द होता है, और यह माता-पिता के लिए भी अधिक सुविधाजनक होता है। कॉम्बिनेशन वैक्‍सीनेशन माता-पिता और उनके बच्चे, दोनों के लिए वरदान है।’’
हाल के वर्षों में, भारत ने देश में टीकाकरण कवरेज बढ़ाने के अपने प्रयासों को तेज कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण - एनएफएचएस -5 से उल्लेखनीय सुधार का पता चला है। भारत में पूर्ण टीकाकरण* वाले 12 से 23 महीने के आयु वर्ग के बच्चों का प्रतिशत 62% (एनएफएचएस-4; 2015-16) से बढ़कर 76.4% (एनएफएचएस-5; 2019-21) हो गया है और उत्‍तर प्रदेश में यह 51.1% से 69.6% हो गया है।हाल के एक अध्ययन से यह भी पता चला है कि ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण कवरेज में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में सीमित सुधार हुआ है।
 
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के टीकाकरण कार्यक्रम के अनुसार, बच्चों को 6, 10 और 14 सप्ताह की उम्र में DTP-IPV-Hib-HepB के टीके लगवाने होते हैं। 6-इन-1 टीकाकरण इन 6 रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है। 6-इन-1 टीकाकरण का मतलब है कि बच्चे इनमें से प्रत्येक समय पर केवल 2 इंजेक्शन (यानी 6-इन-1 टीकाकरण और न्यूमोकोकल टीकाकरण) तथा 1 ओरल वैक्‍सीन (रोटावायरस टीकाकरण) लेते हैं। कॉम्बिनेशन शॉट नहीं लेने वाले बच्चों को और भी कई इंजेक्शन लेने पड़ते।
 
 
माता-पिता को टीकाकरण के लाभों और टीकों की उपलब्धता के बारे में जागरूक करने, पूर्ण टीकाकरण कवरेज को 90% और उससे अधिक बढ़ाने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। कॉम्बिनेशन वैक्‍सीनेशन सेबच्चों को कम इंजेक्‍शन लगाने पड़ते हैं लेकिन उन्हें उतनी ही सुरक्षा मिलती है जितनी अलग टीकों के साथ होती है।

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