सुरक्षित गर्भ समापन से घटेगी मातृ-शिशु  मृत्यु दरः डॉ. पूजा शर्मा

अनचाहे गर्भ एवं गर्भ से संबंधित जटिलताओं को कम करने से 30 प्रतिशत तक कम होगी मातृ मत्युः प्रोग्राम ऑफिसर

मेरठ।  मेडिकल में चल रहे आशा संगिनी प्रशिक्षण शिविर में शुक्रवार को साझा प्रयास नेटवर्क द्वारा प्रतिभाग किया गया। जिसमें ट्रेनिंग एंड रिसर्च ऑफिसर ने आशा संगिनी को सुरक्षित गर्भ समापन के विषय पर जानकारी दी और एमटीपी एक्ट तथा परिवार नियोजन के बारे में बताया। इस दौरान करीब 30 से अधिक आशा संगिनी मौजूद रही।

परिवार नियोजन की नोडल अधिकारी डॉ. पूजा शर्मा ने बताया कि साझा प्रयास द्वारा आज आशा संगिनी को सुरक्षित गर्भ समापन के विषय पर जानकारी दी गई, जिसमें आशाओं को बताया कि सुरक्षित गर्भ समापन से मातृ-शिशु  मृत्यु दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है, इसलिए इसके बारे में महिला के साथ-साथ पुरुषों को भी जानकारी होना जरूरी है। सुरक्षित गर्भ समापन के साथ ही मातृ-शिशु मृत्यु दर घटेगी। प्रजनन सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक होना चाहिए। ताकि असमय होने वाली मौतों को रोका जा सके। स्वास्थ्य विभाग को इस दिशा में विशेष ध्यान देने के साथ ही महिला चिकित्सकों की संख्या में अपेक्षित बढ़ोत्तरी करनी होगी। उन्होंने सुरक्षित गर्भपात के लिए जागरूकता और ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधन बढ़ाने पर जोर दिया। गर्भपात के लिए सरकारी अस्पतालों की ही सेवा लेना चाहिए।

ट्रेनिंग एंड रिसर्च ऑफिसर ने सुरक्षित गर्भ समापन के बारे में विस्तार से चर्चा की और बताया कि परिवार नियोजन द्वारा अनचाहे गर्भ एवं गर्भ से संबंधित जटिलताओं को कम करने से 30 प्रतिशत तक मातृ मृत्यु दर कम हो सकती है। उन्होंने बताया कि 20 वर्ष से कम उम्र में गर्भधारण करने के कारण मां को होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं एवं खतरे हो सकते हैं, जिनमें गर्भपात, प्रसवपूर्व अधिक रक्तस्राव, झिल्लियों का समय से पहले फटना, बच्चेदानी में संक्रमण, उच्च रक्तचाप, बाधित प्रसव आदि शामिल हैं। इस कारण 15 साल से कम उम्र में यह खतरा पांच गुना जबकि 20 साल से कम उम्र में दो गुना बढ़ जाता है। परिवार नियोजन द्वारा शिशु मृत्यु दर की रोकथाम भी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यदि सही उम्र में गर्भधारण यानी 20 वर्ष से अधिक उम्र, बच्चों में तीन साल का अंतर, गर्भपात की अवस्था में दोबारा गर्भवती होने में कम से कम छह माह का अंतराल रखा जाए, तो परिवार नियोजन गर्भावस्था की जटिलताओं मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सकता है।

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