सहारनपुर में गरजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

 देश के स्वाभिमान के साथ खेलने वालों से होगी आमने-सामने की लड़ाई

सहारनपुर।मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेहट में कहा कि 'आज चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है। 14 फरवरी को सहारनपुर में मतदान होगा। मैं सबसे अपील करने आया हूं। पांच साल पहले प्रदेश की सरकार की कार्यपद्धति को सबने देखा, दंगे होते थे, अराजकता थी, बहन-बेटियों की सुरक्षा नहीं थी, सहारनपुर का दंगा कौन भूल सकता है। 2017 में भाजपा को आशीर्वाद दिया। इन पांच वर्षों में कोई दंगा नहीं हुआ, कोई दुस्साहस नहीं कर पाया। बड़े-बड़े दंगाई पांच वर्षों तक बिलों में छिपे थे, यह किसी से छिपा नहीं है।
उन्होंने कहा कि मैं यही कहने आया हूं कि चुनाव की घोषणा के बाद साढ़े चार वर्ष तक जो लोग सरकार की धमक के सामने चुपचाप बिलों में छिप गए थे, एक बार फिर से वह निकलकर इंतजार कर रहे हैं, जैसे ही अवसर मिलेगा, दंगा अराजकता, बेटियों की सुरक्षा के लिए खतरा बन जाएंगे। आज प्रदेश में एक बार फिर भाजपा की सरकार जरूरी है।'
मुख्‍यमंत्री ने कहा कि हम सब जानते हैं कि यहां मां शाकम्भरी के नाम पर विवि बनाने की मांग थी, उसे पूरा करते हुए हमारी सरकार ने विश्वविद्यालय दे दिया है। उसके लिए सभी को शुभकामनाएं। जब चार साल के बाद यहां से डिग्री मिलनी प्रारंभ हो जाएंगी तो सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली के हर नौजवान की डिग्री में मां शाकम्भरी का नाम और फोटो होगा।
सीएम ने कहा कि हम लोगों के लिए देश महत्वपूर्ण है और राष्ट्र धर्म ही है, अगर कोई देश के स्वाभिमान, सम्मान के खिलाफ और हमारे नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई का दुस्साहस करेगा तो फिर आमने-सामने की लड़ाई होगी। पांच साल में कोई दंगा नहीं कर पाया, बेटियों की तरफ टेढ़ी नजर से नहीं देख पाया, क्योंकि मालूम है कि कर्फ्यू का अंजाम क्या होगा। जहां पर पहले व्यापारियों और गांव गांव में बम फोड़े जाते थे, आज कर्फ्यू नहीं लगता, आज कांवड़ यात्रा निकलती है, हर हर बम बम के नारे लगाए जाते हैं। जिस यूपी में कभी माफिया हावी हो चुके थे, वह यूपी आज विकास की नई कहानी लिख रहा है।
योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि 'हमने सुरक्षा भी दी और सहारनपुर के कारोबार को ऊंचाई तक पहुंचाया, पिछली सरकारों ने इसकी उपेक्षा की। पांच साल के बाद फिर से काष्ठ कला देश दुनिया के लिए छा रहा है। सहारनपुर के उद्यमी, अन्नदाता, बागवान, पशुपालक, नौजवान, व्यापारी इन सबके सामने पहचान का संकट आया था, लेकिन पांच साल के अंदर बदला हुआ उत्तर प्रदेश है।

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