खतम हो रही कोरोना की लहर
स्वास्थ्यमंत्रालय के आंकड़ों की बात करें तो कोरोना वायरस की कथित तीसरी लहर में संक्रमित मामले करीब 70 फीसदी घट चुके हैं। सोमवार को मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़े काफी उत्साहवर्द्धक हैं। अगर हम आंकड़ों पर गौर करें तो बीते 15-17 दिनों के अंतराल में संक्रमण लगातार कम हुआ है। देश के जिन राज्यों में महामारी का विस्तार अब भी जारी था, वह भी रसातल की ओर है। आईसीएमआर का आकलन है कि फरवरी अंत तक कोरोना संक्रमण नगण्य हो जाएगा। देश भर में कुल संक्रमित मामलों की निर्णायक गिरावट भी मार्च तक अपेक्षित है। यह कुछ आंकड़ों से स्पष्ट हो सकता है। बीती 20 जनवरी को कोरोना के संक्रमित मामले 3,47,063 थे, जो शनिवार, 5 फरवरी को 1,07,731 तक लुढ़क गए हैं। संक्रमण कहीं भी दोबारा करवट नहीं बदल सका है। महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल सरीखे जिन राज्यों में संक्रमित मामले 50,000 रोज़ाना तक दर्ज किए जा रहे थे, वहां अब आंकड़े बेहद कम हैं और यह रुझान बीते 15 दिनों से ज्यादा समय से दर्ज किया जा रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन और महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य एजेंसियों का मानना है कि कोरोना वायरस की मौजूदगी लगातार संक्रमित मामलों और सक्रिय मरीजों की संख्या के आधार पर आंकी जाती है। यदि लगातार 7 दिनों तक संख्या न बढ़े, तो महामारी का ‘चरम’ मान लिया जाता है। भारत में बीती 23 जनवरी को सक्रिय मरीज 22 लाख से अधिक थे। अब 13 लाख से भी कम हो गए हैं और फरवरी अंत तक उनमें भी निरंतर गिरावट के आसार हैं। इसी आधार पर विशेषज्ञ चिकित्सकों के आकलन सामने आ रहे हैं कि तीसरी लहर का ‘चरम’ गुज़र चुका है। अब संक्रमण खतम होने की ओर है। संक्रमण के जो आंकड़े बीते शनिवार, 5 फरवरी, को सामने आए थे, वे 5 जनवरी के बाद सबसे कम मामले हैं। जो संक्रमण-दर 30 फीसदी से ऊपर तक चली गई थी, अब वह 10 फीसदी से भी कम है। राजधानी दिल्ली में तो संक्रमण-दर मात्र 2.87 फीसदी दर्ज की गई है और कोरोना के एक दिन में 1600 से कम मरीज सामने आए हैं।
साफ है कि संक्रमण बहुत नियंत्रण में आ गया है। महामारी के निरंतर पतन का ही परिणाम है कि कई राज्यों में स्कूल-कॉलेज खोल दिए गए हैं। सरकारी और निजी क्षेत्र के दफ्तरों में 100 फीसदी क्षमता के साथ काम शुरू कर दिए गए हैं। रेस्तरां, बार, होटल रात्रि 11 बजे तक खुल सकेंगे। यानी एक बार फिर आर्थिक गतिविधियां आज़ाद हुई हैं। देश में सबसे पहले ‘चरम’ मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरु और कोलकाता सरीखे महानगरों में आया। फिर छोटे शहरों में मरीजों की संख्या कम हुई और अब ग्रामीण इलाकों में भी 80 फीसदी संक्रमण समाप्त हो चुका है। कोरोना टीकाकरण के संदर्भ में भी बड़ी सफलताएं हासिल हुई हैं। यह टीके का ही प्रभाव रहा है कि इस बार मरीज कम आए और अस्पतालों में भगदड़ नहीं मची। कोरोना के मरीज ऑक्सीजन की कमी के कारण नहीं मरे। सड़कों पर लावारिस दृश्य देखने को नहीं मिले। देश की करीब 96 फीसदी आबादी टीके की एक खुराक ले चुकी है और 77 फीसदी से अधिक आबादी को दोनों खुराकें दी जा चुकी हैं। हालांकि यह विशेषज्ञ चिकित्सक ही तय करेंगे कि भारत ‘हर्ड इम्युनिटी’ की स्थिति में कब होगा और उसके फायदे क्या होंगे? लेकिन 140 करोड़ की आबादी के देश में टीकाकरण की यह अद्भुत सफलता है। किशोर बच्चों में टीकाकरण और बुजुर्गों में बूस्टर डोज के अभियान लगातार प्रतिमान स्थापित कर रहे हैं।
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