गणतंत्र दिवसः जन गन मन अधिनायक जय हो’’

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में गणतंत्र दिवस 26 जनवरी के रूप में मनाया जाता है। 26 जनवरी 1950 के दिन हमारे देश में संविधान लागू हुआ था। यह दिन पूरे भारतवर्ष में खुशी और उल्लास के साथ मनाया जाता है। देश पर मर-मिटने वाले सभी सवतंत्रता सैनानियों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। संसार के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के उस गौरवशैली संविधान की जिसकी नीव विश्व रत्न बोधिसत्व बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी द्वारा रखी गयी थी। आज यही संविधान भारत की आत्मा है और देश का सबसे बड़ा धर्मग्रंथ है जो प्रत्येक भारतवासी की आत्मा में बसता है। मुझे यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि सही मायनें में एक मनुष्य की जिंदगी के मायने क्या हैं। उसके अधिकार क्या हैं। हजारों सालों से भारत अंधविश्वास को ढोता आ रहा था और न जानें कितने ही बाहरी विदेशियों ने आकर यहां राज किया और देश को खुब लुटा खसौटा। सही मायने में देश के नागरिकों के लिए 1950 में तैयार किये गए नियमो, कर्तव्यों और अधिकारों का दुनिया का पवित्र ग्रंथ है भारतीय संविधान। जिसमें अमीर, गरीब, राजा और प्रजा सब एक तराजू में नापे गये हैं। इसका पालन देश के प्रथम व्यक्ति अर्थात राष्ट्रपति द्वारा भी किया जाता है और अंत में खड़ा व्यक्ति भी। इस संविधान का सम्मान करना और इसे सर्वाेपरि रखना हम सभी देश वासियों का मौलिक कर्त्तव्य है।



4 अगस्त, 1947 को एक सात सदस्यीय संविधान प्रारूप समिति बनाई गई। डॉ. भीमराव अंबेडकर को उसका अध्यक्ष बनाया गया। संविधान निर्माण का पूरा काम डॉ. अम्बेडकर के कर कमलो द्वारा ही हुआ। 26 नवम्बर, 1949 को संविधान सभा ने नवनिर्मित संविधान को स्वीकृत एवं अंगीकार किया। इस बीच इसमें 7638 संशोधन हुए और 26 जनवरी, 1950 को इसे लागु किया गया। संविधान बनाने में कुल 2 वर्ष 11 माह 18 दिन लगे। बाबा साहब जिन्हें 14 भाषाओं का ज्ञान था और वह दोनों हाथों से बराबर लिखते थे। बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, राजशास्त्र, धर्मशास्त्र ,मानवशास्त्र, भाषाशास्त्र,नीतिशास्त्र, विधानशास्त्र, तत्तवज्ञान धर्म, कानून व इतिहास के प्रकाण्ड विद्वान थे तथा वस्तुतः वे विश्व की महान विभूति थे। उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखी जिसमें सबसे महत्त्वपूर्ण पुस्तक शुद्र कौन थे शूद्र कौन और कैसे हैं तथा भारत में जातिवाद आदि पुस्तकें लिखी थी। 5 दिसम्बर, 1956 की रात्रि 1956 में उन्होंने इस ग्रन्थ की भूमिका लिखकर उसे पूर्ण किया और भोजन करके प्रसन्नचित सो गये।
26 जनवरी 1950 में भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) 1935 को हमारे देश से हटाकर संविधान लागू हुआ। यह दिवस हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। हमे गर्व है की हम सभी इस गणतांत्रिक देश के निवासी हैं। जिसे सरल शब्दों में प्रजातंत्र, लोकतंत्र या जनतंत्र भी कहा जाता है। यानी भारत देश में हुकूमत की बागडोर केवल उसी के हाथो में सौंपी जाती है जिसे चुनने का पूर्णताः हक केवल प्रजा के पास होता है। प्रजा का कर्त्तव्य है की संविधान में दिए कर्तव्यों का पालन करते हुए और अपने अधिकारों की रक्षा हेतु वह एक ऐसे प्रतिनिधि का चुनाव करे जो प्रजा हित में निर्णय ले और संविधान में जरुरी संशोधन कर उसे वर्तमान समय के अनुरूप बनाये और सदैव ही देश की सेवा को अपनी प्रथमिकता दे। संविधान में यह प्रावधान है कि चाहे वह राष्ट्रपति हो, प्रधानमंत्री हो, न्यायधीश हो या कोई उच्चासीन अधिकारीगण वह सब जनता के लोक सेवक हैं।
आज यदि हम गर्व से अपने देश को पूरी तरह आजाद कह सकते है और देश में खुशी और उल्लास से गणतंत्र दिवस मना रहे है, तो इसके पीछे देश को पूर्णस्वराज दिलवाने वाले शहीद उद्यम सिंह, महात्मा गाँधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू, भगत सिंह, लाला लाजपत राय जैसे अनेक स्वतंत्रता सेनानियों को और हमारे देश के वीर जवानो को हमे सदैव याद रखना चाहिए। क्योंकि आज उन्ही के ही संघर्ष और परिश्रम से हम आजादी की जिंदगी जी पा रहें हैं।
गणतंत्र हिंदी के दो शब्दों के मेल से बना है संधि विच्छेद के बात हमें दो शब्द प्राप्त होते है 1 गण 2. तंत्र गण का अर्थ है लोगो का समूह अथवा जनता वही तंत्र का अर्थ है शासन अतः हम कह सकते है की गणतंत्र का का मूक अर्थ है लोगो या जनता का शासन। भारत एक गणतंत्र राज्य है यहा का शासन व सरकार जनता के हाथो में है। एक पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया के द्वारा भारत के प्रतिनिधि चुने जाते हैं। ये चुने हुए प्रतिनिधि भारत के लोगो के लिए कार्य करते हैं। देश में हर नागरिक समान है। देश में जनता का शासन है। जनता जर्नादन होती है। लोकतंत्र प्रणाली भारत में निहित है और यहां की आधार भी है। हमारे देश को को आजादी 15 अगस्त 1947 को प्राप्त हो गयी थी जो 2०० सालो तक अंग्रजों के अधीन के बाद मिली। लाखों देश के वीर सपूतों ने इसके लिए अपना बलिदान दिया। अनेक लोग जेल गए। जो वहीं मर गये। काला पानी जैसी कठोर सजा काटी पर आजादी के दीवानो ने आजादी पा ही ली। जो हम आज सांस ले रहे हैं। यह सब उन्हीं की देन है। हम आजाद तो हो गये। परंतु आजाद होने के बाद हमारी आधार भूत संरचना का प्रश्न खड़ा हो गया। सभी नेताओ और सर्व समिति से भारत को गणतंत्र राज्य बनाने की एक मत राय बनी। बहुत गर्व होता है हमे। जब अनेकता में एकता के राष्ट्रीय गान का स्वर हमारे कानो में गुँजन करता है और गौरवान्वित करता है हमारा वह तिरंगा, जो हमे सदैव भारतीय होने की अनुभूति कराता है।
आज जरूरत इस बात है कि संविधान रचयिता बोधिसत्व भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने देश की एकता और अखण्डता को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए संविधान का निर्माण किया। आज आवश्यकता है कि हब सभी बाबा साहब के जीवन से प्रेरणा लेते उनके बताये हुए मार्ग पर चलें। बाबा साहब ने खासकर कमजोर वर्गों के हितों के लिए जीवन पर्यंत संघर्ष किया।
’ कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा जरूर दी जानी चाहिए।  
’ एक महान आदमी एक प्रतिष्ठित आदमी से इस तरह से अलग होता है कि वह समाज का  नौकर बनने को तैयार रहता है।
’ मैं ऐसे धर्म को मानता हूं, जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाए।
’ हर व्यक्ति जो मिल के सिद्धांत कि ‘एक देश दूसरे देश पर शासन नहीं कर सकता’ को दोहराता है उसे ये भी स्वीकार करना  चाहिए कि एक वर्ग दूसरे वर्ग पर शासन नहीं कर सकता।
’ इतिहास बताता है कि जहां नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष होता है। वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है। निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है। जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल न लगाया गया हो।  
’ बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।  
’ समानता एक कल्पना हो सकती है। लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार  करना होगा।
’ मनुष्य नश्वर है, उसी तरह विचार भी नश्वर हैं। एक विचार को प्रचार-प्रसार की जरूरत होती है। जैसे कि एक पौधे को पानी की, नहीं तो दोनों मुरझाकर मर जाते हैं।
’ पति-पत्नी के बीच का संबंध घनिष्ठ मित्रों के संबंध के समान होना चाहिए।  
’ हिन्दू धर्म में विवेक, कारण और स्वतंत्र सोच के विकास के लिए कोई गुंजाइश नहीं है।
’ जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता  है, वो आपके किसी काम की नहीं।
’ यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों के शास्त्रों की संप्रभुता  का अंत होना चाहिए।  
’ जीवन लंबा होने की बजाए महान होना चाहिए।
 प्रस्तुति - सुदेश वर्मा, एचआर मैनेजर, सुभारती मीडिया लिमिटेड, मेरठ।

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