सामने आए रिकार्ड 1 लाख 94 हजार नए केस
नई दिल्ली (एजेंसी)। देश में कोरोना की रफ्तार फिर तेज हो गई है। कल कोरोना के नए मामलों में कमी के बाद आज फिर इसमें बढ़ोतरी देखने को मिली है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना के आंकड़ों को लेकर अपडेट जारी किया है। मंत्रालय के मुताबिक, बीते 24 घंटे में देशभर में कोरोना के 1,94,720 नए मामले सामने आए हैं। 
मंत्रालय ने बताया कि देश में कल कोरोना वायरस के 1,68,063 मामले आए थे। वहीं, आज 26,657 ज्यादा 1,94,720 रिकार्ड किए गए हैं। कल के मुकाबले आज 26,657 ज्यादा मामले आए हैं।
एक्टिव मामले साढ़े 9 लाख के पार
कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या अब 9,55,319 हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना के कुल मामले अब 3,60,70,510 हो गए हैं। कुल 3,46,30,536 इससे ठीक हो चुके हैं। इसके अलावा 4,84,655 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। डेली पाजिटिविटी रेट भी 11.05% हो गया है।
वहीं, कोरोना वायरस का नया वैरिएंट ओमिक्रोन भी तेजी से फैल रहा है। देश में ओमिक्रोन के कुल मामले बढ़कर 4,868 हो गए हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने बताया कि भारत में कल कोरोना वायरस के लिए 17,61,900 सैंपल टेस्ट किए गए थे। कल तक कुल 69,52,74,380 सैंपल टेस्ट किए जा चुके हैं।

आक्सीजन के बफर स्टाक के प्रति किया आगाह
नई दिल्ली (एजेंसी)। देशभर में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी के साथ बढ़ रहे हैं। ऐसे में केंद्र ने राज्यों को चिट्ठी लिखकर आक्सीजन की उपलब्धता को लेकर आगाह किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में उन्होंने सभी मुख्य सचिवों को स्वास्थ्य सुविधाओं पर मेडिकल आक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए तत्काल उपाय करने को लेकर चिट्ठी लिखी है।

कोविड मरीजों की डिस्चार्ज नीति बदली
नई दिल्ली (एजेंसी)। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 के मसले पर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बुधवार को बताया कि कोविड-19 की स्थिति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समीक्षा बैठक के बाद हमने कोविड के हल्के और मध्यम मामलों के साथ अपनी डिस्चार्ज नीति को संशोधित किया है। लव अग्रवाल ने कहा कि माइल्ड केस वाले मरीजों को कम से कम सात दिनों में डिस्चार्ज किया जाएगा। ऐसे मामलों में डिस्चार्ज से पहले किसी कोविड-19 जांच की जरूरत नहीं है। माडरेट मामलों में यदि इलाज से लक्षण खत्म होने लगते हैं और रोगी लगातार तीन दिनों तक मेडिकल आक्सीजन के बिना खुद को ठीक पाता है तो ऐसे मरीजों को छुट्टी दे दी जाएगी।  

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