देश में गणेश जी के अनेक मंदिर न केवल प्रसिद्ध हैं वरन उनके प्रति प्रगाढ़ आस्था, श्रद्धा और विश्वास का भी प्रतीक हैं। कोई घर, गली, मोहल्ला, भवन, शहर ऐसा नहीं जहाँ गणेश जी विराजित न हों। उनका पूजन न होता हो। सृष्टि और संस्कृति में आदि काल से सर्व प्रथम पूजे जाते हैं।
तिब्बत में गणेश जी को दुष्टात्माओं के दुष्प्रभाव से रक्षा करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। नेपाल में सर्वप्रथम सम्राट अशोक की पुत्री चरुमित्रा ने गणेश मंदिर की स्थापना की थी एवं उन्हें सिद्धिदाता के रूप में माना था। मिश्र में ईसा से 236 पूर्व के कई मंदिर थे और उन्हें कृषि रक्षक देवता के रूप में पूजा जाता था।
अमेरिका के फ्लोरिडा, एरिजोना के फीनिक्स शहर, ऊटाह की साल्टलेक सिटी, केलिफोर्निया के सेंट जोज शहर में, कनाडा के टोरेंटो, ब्रेंम्पटन, एडमांटन शहर में, मलेशिया के कोट्टुमलाई, जलान पूड्डु लामा, इपोह शहरों में एवं नॉर्वे, फ्रांस, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, आस्ट्रेलिया, कम्बोडिया, एवं सिंगापुर आदि कई देशों में गणपति के मंदिर हैं।
इन देशों में श्रद्धालु अपनी-अपनी मान्यताओं और अपने-अपने विश्वास के साथ विधि पूर्वक उनका पूजन करते हैं। इन देशों में गणेश जी को अमूमन गणेश, गणपति, विनायक एवं सिद्धि विनायक पुकारा जाता है और इन्हीं नामों पर मंदिर बने हैं।
जनमानस में इनके प्रचलित रूपों में बालगणपति, भालचन्द्र, बुद्धिनाथ, धूम्रवर्ण, एकाक्षर, एकदंत, गजकर्ण, गजानन, गजनान, गजवक्र, गजवक्त्र, गणाध्यक्ष, गणपति, गौरीसुत, लंबकर्ण, लंबोदर, महाबल, महागणपति, महेश्वर, मंगलमूर्ति, मूषकवाहन, निदीश्वरम, प्रथमेश्व, शूपकर्ण, शुभ, सिद्धिदाता, सिद्धिविनायक, सुरेश्वरम, वक्रतुंड, अखूरथ, अलंपत, अमित, अनंतचिद, विनायक, सिद्धि विनायक, विध्न हरण, मंगलकरण आदि रूपों में पूजा जाता है।

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