सरधना से साजिद कुरैशी की रिपोर्ट

-सरधना स्थित रामलीला मैदान में रामकथा के छठे दिन विजय कौशल महाराज ने किया भगवान की महिमा का वर्णन

सरधना (मेरठ) । कथा छठे दिन कथाव्यास संत विजय कौशल जी महाराज ने केवट चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि जब भगवान ने गंगा पार करके केवट को कुछ देने का प्रयास किया, तो उसने बड़ी विनम्रतापूर्वक मना कर दिया। लेकिन यह तय कर लिया कि 14 वर्ष बाद जब आप इसी मार्ग से वापस जाएंगे, ताकि मुझे दुबारा दर्शन लाभ मिल सके। 
   उन्होंने इसी प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भक्त भगवान से कभी भी कोई सांसारिक वस्तु नहीं मांगता। और सांसारिक व्यक्ति भगवान से हमेशा सांसारिक वस्तुओं की मांग करता रहता है। महाराज श्री ने बड़े सरल शब्दों में भगवत दर्शन का मार्ग बताते हुए कहा कि भगवान परीक्षा से नहीं, प्रतीक्षा से मिलते हैं। भगवत दर्शन परिस्थिति से नहीं मनस्थिति से होते हैं। कहा कि धर्माचायों को अपनी आचार्य संहिता का हमेशा ध्यान रखना चाहिए। तथा कोई न कोई धार्मिक, गतिविधि में हमेशा लीन रहना चाहिए।
       कथाव्यास ने बताया कि भगवान जब आगे की ओर चले, तो वनवासी, गिरिवासी, आदिवासी, जंगली जानवर सांप, पक्षी सब उनके दर्शन करने के लिए उमड़ पड़े। उन्होंने संत दर्शन की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि इससे दृष्टि दोष दूर होता है।
उन्होंने दान की महिमा का वर्णन करते हुए कहा प्रत्येक मनुष्य को दान अवश्य करना चाहिए। कलयुग में दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। गुरु महिमा का परिभाषित करते हुए महाराज श्री ने कहा कि गुरु के बिना जीवन शुरू नहीं। पतंग और पतंगे का उदाहरण देते कहा कि स्वतंत पंतगा थोड़ी देर में जलकर खाक हो जाता है। और परतंत्र पतंग आकाश की उंचाइयों में उड़ती है। इसी प्रकार मनुष्य जीवन का किसी न किसी गुरु से जुड़ा होना अति आवश्यक है
    कथा को आगे बढ़ाते हुए बताया कि आगे प्रभु वाल्मीकि ऋषि के आश्रम जाते हैं। उन्हें प्रणाम करते हैं, और वाल्मीकि ऋषि से अपने रहने योग्य स्थान पूछते हैं। बाल्मीकि 14 स्थान बताते हैं जहां भगवान निवास करते हैं। तथा भगवान को चित्रकूट में रहने की सलाह देते हैं। इस आयोजन के दौरान रक्षित गर्ग मीडिया प्रभारी विमल कुमार, डा. दीपेन्द्र सिंह हरिद्वार, मूलचन्द गुप्ता, मनोज सोम, नवनीत अरोड़ा, मूलचन्द्र नवीन बुद्धिराजा, महेन्द्र सैनी, नवीन बंसल जितेन्द्र विश्वक्रर्मा, राहुल जैन, अरुण सोम, अनिकेत गुप्ता, बिजेन्द्र सिंह, लोकेश चौहान, उज्जवल, रामकिशन, शालू पुरी, रंजिता बटजेवरा, अलका कश्यक, रितू दीपा, रचना सोम, सुनिता, सरिता, पूजा आदि ने सहयोग किया। प्रसाद वितरण डा. ओमकार पुंडीर की ओर से किया गया।


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