एंडोवैस्कुलर बीमारियों के इलाज में इस नॉनकृसर्जिकल और न्यूनतम इनवेशिव तकनीक का इस्तेमाल
मेरठ। एंडोवैस्कुलर इंटरवेंशन तकनीकों के क्षेत्र में हालिया तरक्की की बदौलत पेरिफेरल आर्टेरियल डिजीज पीएडी डीप वेन थ्रोम्बोसिस डीवीट वेरिकोस वेन्स जैसी कई बीमारियों से पीडि़त मरीजों का इलाज हो सकता है ताकि उनके जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो सके। मिनिमली इनवेसिव तकनीकों के आने से अब ज्यादातर मामलों में सर्जिकल या खुली प्रक्रिया अंगच्छेदन आदि की जरूरत नहीं पड़ती है। उक्त जानकारी डा कपिल गुप्ता मैक्स हॉस्टिल ने जागरूकता कार्यक्रम में दी।
डॉ कपिल गुप्ता ने विस्तार से बताया जो खुद कई ऐसे मरीजों के जटिल मामलों का सफल इलाज कर चुके हैं जिनकी जिंदगी या अंग लगभग अंतिम अवस्था में पहुंच चुके थे। उन्होंने इन सभी मरीजों का सफल इलाज मिनिमली इनवेसिव एंडोवैस्कुलर प्रक्रियाओं से ही किया। उन्होंने बताया सही समय पर इलाज शुरू कराने से वैस्कुलर की स्थिति बेहतर करने में मदद मिलती है और वैस्कुलर तकनीकों की तरक्की भी समय के साथ बेहतर होती जा रही है। शहरी क्षेत्रों में खानपान की खराब आदतें और श्रमरहित लाइफस्टाइल का चलन तेज हुआ है जिस कारण वैस्कुलर स्थितियों वाले मरीजों की संख्या भी बढऩे लगी है। पेरिफेरल आर्टेरियल डिजीज पीएडी डीप वेन थ्रोम्बोसिस डीवीटी और अन्य स्थितियों की सही समय पर डायग्नोसिस हो जाए तो इनका इलाज संभव है और मरीजों को बेहतर जीवन मिल सकता है।उन्होने बताया इससे बचने के लिये व्यायाम व तले हुए खाने से बचना है। वही पर आये एक मरीज के बारे में बतायासुभाष त्यागी की बाईं टांग में नसों के खिंचाव के कारण तेज दर्द और सूजन था। विस्तृत जांच के बाद पता चला कि उसे वेरिकोज वेन्स है जिस कारण लगातार दर्द और सूजन की शिकायत आ रही थी और कई बार एड़ी पर घाव हो जाता था जो भरता नहीं था। इस वजह से टूटी नसों से रक्तस्राव होने लगता था। उसे रेडियोफ्रिक्वेंसी एब्लेशन नामक एडवांस्ड स्टिचलेस इलाज दिया गया और अब वह अच्छा हो गया है तथा उसकी शिकायतें भी दूर हो गई हैं।
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