मेरठ। मेरठ समेत पूरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश प्रदुषण की चपेट में है। तेजी से बढते प्रदुषण से लोगों के स्वास्थ्य पर असर पडता दिखाई दे रहा है। अस्पतालों में नाक कान व गले के मरीजों की संख्या तेजी से बढ रही है।समय रहते प्रदुषण पर लगाम नहीं कसी गयी तो इसके परिणाम आने वाले समय भंयकर हो सकते है।
जिला अस्पताल के ईएनटी चिकित्सक डा वी पी कौशिक का कहना है कि प्रदुषण बढने के कारण ३० से ४० प्रतिशत ऐसे मरीज निकल रहे है। इसमे नाक ,कान व गले की शिकायत लेकर आ रहे है। इसके काफी संख्या में ऐसे मरीज आ रहे है। जिनके टिनिटस बीमारी के शिकार है। काफी ऐसे मरीज आ रहे है। जिनकी आंखो में जलन की शिकायत मिल रही है । गले में खराश के मरीज भी काफी संख्या में आ रहे है। उन्होंने बताया ध्वनि प्रदुषण , फै क्ट्रियों ने निकली जहरीली गैस व हवा में धूल के घुलने के कारण यह समस्या आ रही है।
इन पर हुई कार्रवाही
बढते प्रदुषण को कम करने के लिये क्षेत्रीय प्रदुषण अधिकारी डा योगेन्द्र कुमार ने प्रदुषण के मानकों को मनाने पर गंगोल रोड स्थित चार फैक्ट्री को सील कर दिया है। इसके अतिरिक्त लगातार टीमों द्वारा मॉनिटरिंग की जा रही है। प्रदुषण को काबू करने केलिये सीपीसीबी की ओर से ग्रेप लागू किया गया है। मानकों को पूरा न करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रदूषण के ये है कारण
प्राकृतिक व मानवीय कारणो से वायु के दुषित होने की प्रक्रिया वायु प्रदुषण कहलाती है। इसमें वन उद्योग धंधे, परिवहन, कृषि कार्य आदि प्रदुषण का कारण बन रहे है। इसका प्रभाव मानव ही नहीं वरन जीव जन्तुओ व वनस्पति तक होता है। फलोराईड यौगिक प्रदूषित घास खाने से जीव जन्तु प्रभावित हो रहे है।
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