बाबू राव विष्णु पराडकर की जयंती पर हुई संगोष्ठी 

विद्या नॉलेज पार्क एवं विश्व संवाद केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में हुआ आयोजन

मेरठ। विद्या नॉलेज पार्क एवं विश्व संवाद केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में प्रख्यात साहित्यकार एवं पत्रकार बाबू राव विष्णु पराड़कर की जयंती के मौके पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका विषय ‘’वर्तमान हिन्दी पत्रकारिता में मौलिकता’ था। गोष्ठी विद्या इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में हुई जिसमें मुख्य वक्ता एसोसिएट प्रोफेसर डा.मनोज श्रीवास्तव के साथ मुख्य अतिथि अवकाश प्राप्त शिक्षक सुमंत डोगरा, तिलक स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन, चौधरी चरण सिंह विष्वविद्यालय के निदेशक प्रोफेसर डा.प्रशांत कुमार मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्या इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी की निदेशिका डा.रीमा वार्ष्णेय ने की।
विद्या नॉलेज पार्क के विद्या इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी में सोमवार को महान साहित्यकार व पत्रकार बाबू राव विष्णु पराड़कर की जयंती के मौके पर ‘’वर्तमान हिन्दी पत्रकारिता में मौलिकता’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित एवं विद्यागान के साथ किया गया। इसके बाद मुख्य अतिथि सुमंत डोगरा ने विश्व संवाद केंद्र के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वहीं एसिस्टेंट प्रोफेसर सूरज देव प्रसाद ने विद्या नॉलेज पार्क के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में विद्या इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी की निदेशिका डा.रीमा वार्ष्णेय ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुये कहा कि सही मायने में पत्रकारिता को पराड़कर जी ने चरितार्थ किया और अंग्रेजों के खिलाफ अखबार निकालकर हथियार की तरह उपयोग किया। कहा कि हमें पराडकर जी के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिय।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता एसोसिएट प्रोफेसर डा. मनोज कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि पत्रकारिता की भाषा में आक्रमकता बढ़ रही है और मौलिकता का लोप हो रहा है। उन्होंने पराड़कर जी के जीवन के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुये वर्तमान हिन्दी पत्रकारिता में मौलिकता विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान पत्रकारिता में तकनीकी का विकास तो हुआ लेकिन संपूर्ण रूप में मौलिकता की कमी हुई है। आज स्वाध्याय समाप्त हो गया है। यदि हम अपनी संस्कृति और पत्रकारिता का विकास करना चाहते हैं तो स्वाध्याय के माध्यम से मौलिकता लानी होगी। तिलक स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन, चौधरी चरण सिंह विष्वविद्यालय के निदेशक प्रोफेसर डा.प्रशांत कुमार ने कहा कि जिसमें दर्द सहने की क्षमता होगी, सही मायने में वही मील का पत्थर बन सकता है। इसके लिये व्यक्ति में समर्पण की भावना होनी चाहिये। 
कार्यक्रम में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की विभागध्यक्ष डा.ममता भाटिया ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।  कार्यक्रम का सफल संचालन पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के एसिस्टेंट प्रोफेसर सोनाक्षी शर्मा एवं सूरजदेव प्रसाद ने किया। इस मौके पर पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के एसिस्टेंट प्रोफेसर अविनाश कुमार साथ बीजेएमसी, फैशन एवं फाइन आर्ट विभाग के विद्यार्थी मौजूद रहे। 


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