किस बैंक से लोन लिया गया इसे  बताने में बैंक अधिकारी विफल  


मेरठ। मवाना तहसील में कार्यरत दिव्यांग कर्मी की पत्नी के नाम पर किसी ने फर्जीवाडा करते  हुए 4.54 लाख रुपये का लोन निकाल लिया। इस बात का पताा तब हुआ जब वह अपने परिवार के लिए आशियाना बनाने को बैंक से लोन लेने गया। दिव्यांग ने इस मामले की शिकायत डीएम से की है।
मूल रूप से कानपुर निवासी दिव्यांग रमेश मवाना तहसील में बुनकर पर पर तैनात हैं। बचपन से उनकी आंखें नहीं हैं। वर्तमान में वह पत्नी और चार बच्चों के साथ मवाना तहसील परिसर में सरकारी क्वार्टर में रह रहे हैं। वे अपना आशियाना बनाने के लिए मवाना के पंजाब नेशनल बैंक से लोन लेने गए। बैंक ने उनकी फाइल मेरठ भेज दी। वहां से पता चला कि उनकी पत्नी के नाम पर 4.54 लाख रुपये का पहले से ही लोन चल रहा  है। दिव्यांग रमेश पहले अपने आशियाने के लिए लोन पाने को नगर के उसी बैंक में गए जहां पर उनका वेतन जमा होता है लेकिन बैंक ने उन्हें दो.तीन लाख रुपये से अधिक देने से इंकार कर दिया। वह अपने परिवार के साथ कई बैंकों में गए। बाद में उन्हें पंजाब नेशनल बैंक के अफसरों ने भरोसा दिलाया कि 14 लाख रुपये तक उनका बैंक लोन दे सकता है। रमेश के अनुसार उन्होंने बैंक में अपनी फाइल तैयार कराई और मेरठ आंचलिक कार्यालय को भेज दी।
बैंक के अफसरों ने दिव्यांग रमेश को जानकारी दी कि बैंकों केरिकार्ड में उनकी पत्नी वर्षा के नाम पर वर्ष 2014 में 4.54 लाख रुपये का लोन चढ़ा हुआ है। उनका पैन नंबर भी लिखा हुआ है। उसकी ज्यादा तहकीकात में इतना पता चला कि लोन लेने वाले ने एक पता तहसील मवाना परिसर, दूसरा पता स्माल ट्रांसपोर्टर, माजरा राधना, इनायतपुर मेरठ और तीसरा पता संगम विहार दिल्ली.62 लिखा है। किस बैंक से लोन लिया गया है इसकी जानकारी नहीं हो सकी।
पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंधक अमित गुप्ता का कहना है कि दिव्यांग तहसील कर्मी रमेश द्वारा लोन लेने के लिए अप्लाई करने का मामला उनके संज्ञान में नहीं है। उधर, पंजाब नेशनल बैंक के अंचल अधिकारी अजय शर्मा ने बताया कि उन्होंने इनको लोन दिलवाने का प्रयास किया है लेकिन सिविक में इनकी पत्नी और पेन कार्ड पर लोन चढ़ा हुआ है। उन्होंने काफी जानकारी की लेकिन यह नहीं पता चल सका कि वह लोन किस बैंक से हुआ है। इस कारण इनके बैंक की लोन की फाइल अटकी हुई है।

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