पूरे गांव का कोविड टीकाकरण  कराने वाली महिला ग्राम प्रधान की कहानी

- भ्रांतियों को दूर करने में लिया डाक्टर का सहारा, ताने सहे-मिन्नतें की तब जाकर हुआ शत-प्रतिशत टीकाकरण 

- डीएम और सीएमओ ने किया सम्मानित  
मेरठ, 22 नवंबर, 2021। जनपद मुख्यालय से सटे दौराला ब्लॉक के बंशीपुरा गांव के हर पात्र व्यक्ति ने कोविड टीकाकरण कराकर जिम्मेदार नागरिक होने की मिसाल पेश की है। ग्रामीणों का कहना है कि कोरोना अब हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता, क्योंकि हमने वैक्सीन लगवा ली है। हिंदू, मुस्लिम मिश्रित आबादी के इस गांव में यह संभव हो पाया है, वहाँ की ग्राम प्रधान सेबी रिजवी  के मजबूत इरादों और मेहनत से । सेबी ने अपने गांव को बचाने के लिए न केवल वैक्सीन के खिलाफ फैले मिथकों को दूर किया  बल्कि लोगों  के ताने भी सहे। अंत में सेबी की जीत हुई, आज गांव में हर आदमी टीके की पहली डोज लगवा चुका है, बारी आने पर दूसरी डोज लेने की भी तैयारी है।



सेबी ने अपने गांव को कोरोना से बचाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है।  उनका कहना  है कि गांव वालों को समझाना बहुत मुश्किल था । पहले महिलाओं  और युवाओं को वैक्सीन के लिए मनाया। गांव के हर घर की कुंडी न जाने  कितनी बार  खटखटाई । लोगों की गलत बातें, ताने भी सुने, सहे हैं। औरतें कहतीं “तुम क्यों हमारे पीछे पड़ी हो, हमें नहीं लगवाना जे टीका, तुम ही लगवा लो।“ कई लोगों ने तो मुझे आता देखकर दरवाजा ही बंद कर लिया  लेकिन मैंने भी ठान लिया था कि गांव के हर किसी  को वैक्सीन जरूर लगवाऊंगी। 



कभी सुबह जल्दी उठकर, कभी देर रात, कभी मिठाई के बहाने घरों में जाकर लोगों को मनाया। पहले खुद व अपने  पूरे परिवार को  वैक्सीन लगवाई, गांववालों को भरोसा दिलाया कि जब हमें कुछ नहीं हुआ तो तुम्हें भी कुछ नहीं होगा। लोग टीकाकरण को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियाँ पाले बैठे थे |  गांव में डॉक्टर को बुलाकर ऐलान कराया कि वैक्सीन से ऐसा कुछ नहीं होगा, तब जाकर लोगों की भ्रांतियाँ दूर हुईं, फिर  मिन्नतें कर लोगों को टीकाकरण के लिए मनाया।
पुरुषों को समझाने में ली पति की मदद :
सेबी का कहना है कि औरतों को तो  खुद समझा लेती, कई आदमियों को भी समझाया कि वैक्सीन लगवाएं, बीमारी से बचाएगी। पूरा गांव सुरक्षित रहेगा।  कई ऐसे लोग भी थे  जो बात नहीं मानते थे।  गांव की बहू होने के नाते बड़ों से पर्दा भी रखना पड़ता, , जहां ऐसा था वहां पति, भाई और देवर को भेजा। घर के आदमी उन पुरुषों के बीच बार-बार गए। सुबह छह बजे  जाकर उन्हें उठाया और टीकाकरण के लिए ले गए । कुछ लोगों से मनमुटाव भी हुआ, मगर अपने गांव को बचाने के लिए मैं भी डटी रही।
पहली बार लड़ी चुनाव और बनी प्रधान :
 सेबी के  दो बच्चे हैं, परिवार की रजामंदी पर उन्होंने पहली बार ग्राम प्रधान  का चुनाव लड़ा। नौवीं तक पढ़ी सेबी ने लोगों के बीच जाकर उन्हें गांव के विकास के बारे में बताया। सेबी की बातों से प्रेरित होकर ग्रामीणों ने  वोट देकर उन्हें प्रधान चुना। सेबी कहती हैं-  अभी गांव में लाइब्रेरी , बड़ा स्कूल बनाना है ताकि गांव की बच्चियां यहीं पढ़ाई कर सकें। वह कहती हैं-‘मैं तो ज्यादा नहीं पढ़ सकी, आने वाली पीढियां पढ़कर आगे बढें, यही ख्वाब है।’
गांव को नहीं छू सका कोरोना :
वंशीपुरा गांव को कोरोना की पहली और दूसरी लहर छू भी नहीं सकी। ग्राम प्रधान के प्रयासों से गांव कोरोना से दूर रहा। सेबी कहती हैं दूसरी लहर में जब गांवों में कोरोना खूब फैला तो मैंने अपने गांव में रोजाना सेनिटाइजेशन कराया, सफाई कराई, गांव की सीमा को बेरिकेड कर दिया ताकि न कोई बाहर जा सके, न बाहरी आदमी अंदर आए। इसलिए हमारे गांव में किसी को कोरोना नहीं हुआ।
वैक्सीनेशन से संतृप्त होने पर मिला सम्मान :
वंशीपुरा गांव मेरठ जिले का पहला 100 प्रतिशत कोविड टीकाकरण वाला गांव बन चुका है। डीएम के. बालाजी और सीएमओ डा. अखिलेश  मोहन ने ग्राम प्रधान और चिकित्सकों की टीम को सम्मानित किया। गांव में 18 से 93 साल तक के हर व्यक्ति को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है। टीके की दूसरी डोज भी रोजाना कैम्प लगाकर लगवाई जा रही है। 517 लोगों ने यहां वैक्सीनेशन कराया है। एएनएम अलका और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता  कविता, बबली ने भी इसमें मदद की है। 

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