सुप्रीमकोर्ट ने ठोंका 5000 रुपये जुर्माना
नई दिल्ली (एजेंसी)।सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में एक महिला द्वारा अपने पति के साथ मिलकर बनाए गए 'कोरोना माता मंदिर' को ध्वस्त किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज कर दी। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि यह याचिका न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने यह पीआईएल खारिज करने के साथ ही याचिकाकर्ता पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। पीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा कि जिस जमीन पर मंदिर बनाया गया था, वह विवादित थी।
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता की दलील यह है कि यह उसकी निजी जमीन है और निर्माण स्थानीय नियमों के अनुरूप किया गया है तो, उसने मंदिर गिराए जाने के खिलाफ किसी उपयुक्त कानूनी प्रक्रिया को नहीं अपनाया। अब तक याचिकाकर्ता ने अन्य सभी संक्रामक बीमारियों के खिलाफ मंदिरों का निर्माण नहीं किया है। रिकॉर्ड के मुताबिक यह जमीन विवादित है। इस मामले में पुलिस में एक शिकायत भी की गई है।
पीठ ने कहा कि हमारा मानना है कि यह स्पष्ट रूप से संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस अदालत के न्याय क्षेत्र की प्रक्रिया का उल्लंघन है। इसलिए यह रिट याचिका पांच हजार रुपये जुर्माने के साथ खारिज की जाती है।

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