मेरठ। एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने सदर बाजार थाना प्रभारी इंस्पेक्टर बृजेश सिंह कुशवाहा को बनाया है। बृजेश सिंह जनसुनवाई सेल के प्रभारी थे। वहीं, सरधना थाने के एसएसआई सुभाष सिंह मुंडाली एसओ बनाए है। दोनों प्रभारियों को एसएसपी ने सख्त निर्देश दिए कि भ्रष्टाचार पर पूरी तरह से लगाम लगाना है। दोनों ने थाने की कमान शनिवार रात में ही संभाल ली। 

इंस्पेक्टर बिजेंद्र सिंह राणा के खिलाफ थाने के तीनों पुलिस वालों और मुकदमे के वादी वकार ने बयान दिए। उनके मुताबिक ट्रक मालिक इमरान से सीधे और वकार से हेड कांस्टेबल के जरिये इंस्पेक्टर ने पैसे लिए हैं। विवेचक सीओ क्राइम ने विवेचना का पहला पर्चा काट दिया है। एसपी सिटी का कहना है कि मुकदमे में नामजद तीनों सिपाहियों के नाम जांच में खोले हैं। सिपाहियों ने कहा कि इंस्पेक्टर के कहने पर ट्रक मालिक और वकार को थाने लाया गया।सदर थाने का हेड कांस्टेबल मनमोहन सिंह 30 हजार की रिश्वत लेते हुए 31 अगस्त को एसपी सिटी और उनकी टीम ने रंगेहाथ गिरफ्तार किया था। चोरी के ट्रक के फर्जी मुकदमे की जांच इंस्पेक्टर सदर बिजेंद्र सिंह राणा को एसएसपी ने दी। आरोप है कि इंस्पेक्टर ने ट्रक मालिक इमरान से चार लाख और खतौली निवासी वकार से 50 हजार रुपये की रिश्वत ली। वकार से 50 हजार रुपये पुलिस को और लेने थे। गिरफ्तारी के बाद यह बात हेड कांस्टेबल ने पुलिस अधिकारियों को बताई है। वकार की तहरीर पर इंस्पेक्टर सदर, हेड कांस्टेबल समेत तीन अज्ञात पुलिस वालों के नाम सामने आए थे। सीओ क्राइम संजीव दीक्षित की जांच में तीनों पुलिसकर्मियों के नाम उजागर हो गए। इसके बाद तीनों के क्राइम ब्रांच ऑफिस में बयान दर्ज हुए। इसमें सिपाहियों ने बताया कि रिश्वत के मामले से उनका कोई लेना देना नहीं है। इंस्पेक्टर ने वकार को थाने बुलवाकर जांच कराने की बात कहीं थी। इसके चलते हेड कांस्टेबल मनमोहन सिंह और तीनों सिपाही वकार को थाने लाए थे।
-इमरान बताएगा सच, पांचवें दिन भी नहीं मिला
भ्रष्टाचार के खेल की नींव पांच फरवरी को सदर बाजार थाने में रखी गई थी। ट्रक चोरी का फर्जी मुकदमा दर्ज कर दरोगा कामिल ने तीन लाख रुपये इमरान से लिए थे। फिर मामले में एफआर तक लगा दी। बीमा कंपनी की शिकायत पर एसएसपी ने इंस्पेक्टर सदर से जांच कराई। इसमें पूर्व एसओ और दरोगा द्वारा रिश्वत लेकर फर्जी मुकदमा दर्ज कराने की पोल इंस्पेक्टर सदर ने खोली। इसके बाद इंस्पेक्टर खुद भी इसी भ्रष्टाचार में फंस गए। पुलिस का दावा कि इंस्पेक्टर ने ट्रक मालिक से पैसे लिये हैं, लेकिन इमरान अभी पुलिस के सामने नहीं आया। इमरान सामने आएगा, तभी सच सामने आएगा।
संपत्ति की गोपनीय जांच जारी
- इंस्पेक्टर बिजेंद्र राणा की संपति की पुलिस गोपनीय तरीके से जांच कर रही है। पुलिस में रहते हुए उसने कितनी संपति अर्जित की, इसका पता लगाने में पुलिस लग गई। हालांकि संपति की जांच के मामले में पुलिस अधिकारी कोई बयान देने से बच रहे है। एसपी सिटी विनीत भटनागर का कहना है कि सभी साक्ष्य ढूंढने के बाद कोर्ट में मजबूत चार्जशीट दाखिल करेंगी।

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