लेकिन किस्मत कर दी खोटी
इसके दिल को तोड़ देती है
जो बात लगती है, आदमी को छोटी।
कभी ये लड़की, दहेज की खातिर
बली चढ़ा दी जाती है
कभी जन्म लेते ही कूड़ादान में
डाल दी जाती है
या फिर मनचलों के द्वारा
ब्लात्कार कर, नोच ली जाती है।
या रास्ते चलते ये लड़की
तेजाब से जला दी जाती है
हे भगवान! बता दो हमको
इस मर्द प्रधान समाज की
कब तक कैद में रहेंगे हम
हमको भी थोड़ी आजादी दो
कब तक यूँ ही, मरते रहेंगे हम।
- करमजीत कौर
मलोट, श्रीमुक्तसर साहिब (पंजाब)
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