मेरठ :- पेरोरल एंडोस्कोपिक मायोटॉमी (पीओईएम) जैसी चिकित्सा विज्ञान में हुई तरक्की से अचलेसिया कार्डिया नामक दुर्लभ डिसआॅर्डर से पीड़ित हजारों मरीजों को लाभ मिल रहा है। अचलेसिया कार्डिया एक ऐसी बीमारी है जिसमे खाने की नीचे वाली नाली सिकुड़ जाती है। इसमे भोजन नली की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है और यह भोजन तथा पानी के निर्बाध प्रवाह को बाधित कर देता है। मरीज को निगलने में कठिनाई, भोजन का छाती में अटकने का अहसास, सीने में दर्द, खाने का मुँह मे वापस आना और वजन कम होने जैसी समस्याएं होने लगती है। नई दिल्ली मे बत्रा हस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के सीनियर कंसलटेंट डॉ. कपिल शर्मा ने कहा, हमारे पास एक मेरठ का मरीज आया जो कि इस बीमारी से ग्रस्त था 'मरीज को खाना निगलने मे पिछले 1 महीने से दिक्कत आ रही थी वह इलाज के लिए कई अस्पतालों मे गया पर वहाँ बीमारी की पहचान आसानी से हो न सकी। वहाँ केवल मरीज को पेट मे एसिड बनने की दवाई दी गई जिससे आराम न मिला। डॉ कपिल ने एंडॉस्कपी व मनोमेटरी की जाँच अचलासिया कार्डिया को डाइअग्नोस किया. डॉ कपिल ने बताया अचलेसिया कार्डिया मरीजो की जाँच अब मनोमेट्री तकनीक की मदद से की जाती है यह गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी मे एक नई तकनीक आयी है इसमें भोजन और पानी को पेट तक पहुंचाने में मदद करने वाली मांसपेशियों की क्षमता और कार्यप्रणाली नापने के लिए मरीज के मुंह के जरिये भोजन नली में एक पतली पाइप डालकर जांच की जाती है। यह प्रक्रिया करने मे डाक्टर को 30 मिनट लगते है। उन्होंने बताया जो लोग अचलासिया कार्डिया से पीड़ित होते हैं, उनकी तंत्रिका कोशिका धीरे-धीरे गायब हो जाती है। इन कोशिकाओं के न होने से स्फिंगक्टर को आराम करने का मौका नहीं मिलता। परिणा स्वरूप भोजन नलिका में खाना इकट्ठा होने लगता ह दिक्कत आती है अचलासिया कार्डिया के ट्रीटमेंट में सर्जरी यानि हेलर मयोटोमी की जाती है अब इस पोएम प्रक्रिया से सम्भव है।जिसमें कोई चीर—फाड़ नहीं करनी पड़ती है। इसमें लंबे समय तक अस्पताल में रहने की जरूरत भी नहीं पड़ती और इसके शानदार परिणाम लंबे समय तक बने रहते हैं। प्रति-मौखिक एंडोस्कोपिक मायोटॉमी यानी पीओईएम, एक न्यूनतम इनवेसिव है प्रक्रिया जिसमें लोअर एसोफेजियल स्फिंक्टर की आंतरिक गोलाकार मांसपेशी परत को एक सबम्यूकोसल सुरंग के माध्यम से विभाजित किया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया बाहरी चीरों के बिना की जा सकती है इस जेंटलमेंन का ट्रीटमेंट पोयम पद्धति द्वारा किया गया व 48 आवर्ज़ बाद डिस्चार्ज कर दिया. वह अब पूरी तरह से ठीक है व खाना खाने और पानी पीने में कोई परेशानी नहीं है
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