मेरठ। भारत-तिब्बत समन्वय संघ मेरठ प्रांत द्वारा आयोजित प्रांत कार्यसमिति की बैठक में बोलते हुए केंद्रीय संयोजक हेमेन्द्र तोमर ने कहा कि आज जो लोग चीन के समर्थन में है वह तिब्बत मुक्ति के आंदोलन में भी साथ खड़े हैं। उनका उद्देश्य तिब्बत और कैलाश की मुक्ति के लिए संघर्ष नहीं अपितु चीन तक उन सब सूचनाओं को पहुंचाना है जो भारत तिब्बत के समर्थन के लिए कर रहा है। ऐसे लोगों की पहचान  सार्वजनिक तौर पर उजागर करने की आवश्यकता है। 
तोमर ने कहा कि आज रोहिंग्या हो अथवा अन्य नामों से इस देश में आने वाले घुसपैठिए और शरणार्थी जो देश के लिए समस्या का कारण ही बनते जा रहे हैं। इसके विपरीत तिब्बती इस देश में 1959 से रह रहे हैं। न तो वह देश के लिए कभी समस्या बने और ना ही उन्होंने कोई हंगामा किया। वे सदैव भारत को अपना गुरु और खुद को शिष्य रूप में मानते हैं। ऐसे में उनको भारत की नागरिकता देना यह भारत सरकार का कर्तव्य है।सरकार उनको नागरिकता देकर मुख्यधारा में शामिल करें। 
उन्होंने कहा कि भारत तिब्बत समन्वय संघ जिस आक्रामकता के साथ तिब्बतियों की समस्याओं के लिए लड़ रहा है, उनकी मुक्ति के लिए लड़ रहा है उससे आज बहुत सारे संगठनों में बेचैनी बढ़ रही है। तोमर ने आह्वान किया कि तिब्बत की मुक्ति के लिए सारे देश को चाइना के खिलाफ संघर्ष के लिए तैयार रहना पड़ेगा तभी तिब्बती मुक्त होगा और कैलाश में मुक्त हो सकेगा। इन दोनों के साथ ही भारत की सुरक्षा भी मजबूत होगी। 
बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य  संत अरविंद भाई ओझा ने कहा कि कैलाश और तिब्बत के मुक्ति यह हम सब की प्रतिष्ठा से जुड़ा विषय है। जिस भोलेनाथ का हर गली हर मोहल्ले में मंदिर है, उसका मूल स्थान यदि चीन के कब्जे में है, तो उसे मुक्त करना हमारी प्राथमिकता है।
बैठक को प्रांत अध्यक्ष ललित अग्रवाल, प्रांत संयोजक संजय सिंघल, प्रांत महामंत्री डॉ. कुलदीप त्यागी, प्रांत कोषाध्यक्ष प्रवीण शर्मा,  प्रसिद्ध शिक्षाविद  प्रांत महिला महामंत्री डॉ. वंदना वशिष्ठ, प्रांत उपाध्यक्ष विश्वबंधु शास्त्री ने भी संबोधित किया।
बैठक में राष्ट्रीय महामंत्री अरविंद केसरी व विजय मान, द्विक्षेत्र संयोजक  विवेक सोनी, स्वावलंबन प्रभाग राष्ट्रीय सह संयोजक  तरुण अग्रवाल,  आदित्य भारद्वाज तथा  नरेंद्र शर्मा आदि उपस्थित थे।

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