अपने दिन की शुरूआत 'कैट आर्च' से करें अर्थात् जिस प्रकार बिल्ली अपने शरीर को सिकोड़ती है व खंींचती है, उसी प्रकार आप भी सुबह-सुबह हाथों व घुटनों तक अपने शरीर को लाएं व धीरे-धीरे अपनी कमर को कमान की तरह खीेंचें। दस सेकंड के बाद अपने शरीर को ढीला छोड़ें। इससे आप स्वयं को तरोताजा महसूस करेंगे।
- अपने शरीर को सदैव संतुलित अवस्था में रखें। सदैव सीधे खड़े रहें। अपने सिर को रीढ़ की सीध में व कमर के निचले हिस्से को आगे की तरफ रखें। कंप्यूटर पर काम करते समय आंखों को स्क्रीन के बीच के स्तर पर रखें। ऊंची एड़ी के सैंडल पहनकर अधिक न चलें व भारी-भरकम थैले, पर्स न उठाएं। ये सब कारण शरीर का संतुलन बिगाडऩे में सहायक होते हैं।
- प्रतिदिन पंद्रह मिनट तक गहरी सांसें लें। ऐसा करने से दिल की धड़कन सामान्य होती है, नसों पर पडऩे वाला तनाव समाप्त होता है व ब्लडप्रेशर सामान्य होता है। साथ ही तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन का स्तर कम हो जाता है।
- मेडिटेशन यानी ध्यान भी शारीरिक ऊर्जा को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कारक है। इसके लिए एक स्थान निश्चित कर लें। मेडिटेशन के लिए ऐसा स्थान चुनें जहां शांति व साफ-सफाई हो।
 ध्यान करते समय शांत चित्त से बैठ जाएं व स्वयं को ढीला छोड़कर आंखें बंद कर लें तथा किसी अर्थहीन वस्तु पर अपना ध्यान केंद्रित करें। अगर ध्यान भटके तो बार-बार उसी वस्तु पर वापस आने का प्रयास करें। ऐसा 10 से 15 मिनट तक करें।
- प्रभु का सिमरन करें। अपनी श्रद्धा व आस्था के अनुरूप थोड़ा समय अपने प्रभु को याद करें  व सबकी भलाई मांगें। इससे भी आप स्वयं में स्फूर्ति अनुभव करेंगे।
- दिन में कम से कम एक बार अपने शरीर को धूप अवश्य लगाएं। सूर्य का प्रकाश शरीर को ऊर्जा देता है।
- खानपान संबंधी आदतों को सुधारें। थोड़ी-थोड़ी देर में थोड़ी मात्रा में भोजन करें। अधिक ऊर्जा लें। इससे ब्लड शूगर नियंत्रित रहता है।
- भरपूर नींद लें। काम करते-करते थक जाएं तो आधे घंटे की नींद ले लें। इससे शरीर के अंदर ऊर्जा का नया संचार होगा।
- अनर्गल बातों से बचें। इससे आप अपनी काफी ऊर्जा व्यर्थ गंवा देते हैं। निंदा, चुगली, इत्यादि से सदैव दूर रहें। इन सब बातों में उलझकर आप अपनी ऊर्जा खोते ही हैं, साथ ही अपने उद्देश्य से भी भटक जाते हैं।
- अपनी शारीरिक क्षमता के अनुरूप नियमित व्यायाम करें। इससे भी शरीर में ऊर्जा की वृद्धि होती है।

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