मेरठ। विदेशी सामान का बहिष्कार करने के लिए गांधी जी ने सन 1917 में जब चरखा चलाकर रूई की गुच्छी से सूत काता था तो उन्हें भी उम्मीद नहीं रही होगी कि उनके चरखे से निकले धागे से बनी सूती खादी आज इतनी लोकप्रिय होगी। आज आजादी के 75 साल बाद गांधी जी की ये खादी जवान बनी हुई है। गांधी जी के चंपारण सत्याग्रह के 104 साल बाद कपास की इस यात्रा में न जाने कितने मोड़ आए। आज ये खादी युवाओं के सर चढकर बोल रही है। खादी का युवाओं के बीच जबरदस्त क्रेज है। युवाओं में खादी के लिए दिलचस्पी जगाने के मद्देनजर खादी अपनी नई योजना के साथ आई है। आमतौर पर खादी के कपड़ो को लेकर यही धारणा है कि खादी ट्रेडिशनल और ये नेताओं का परिधान है लेकिन अब ऐसा नहीं है। बापू के चरखे से निकली खादी आज आधुनिकता के फैशन में काफी आगे निकल चुकी है। मेरठ गांधी आश्रम और सुभाष बाजार इसकी पहचान हैं। जहां पर युवाओं की भीड़ सुबह और शाम देखी जा सकती है। युवा खादी के बने फैंसी कपड़ों को खरीदने के लिए दुकानों में दिखाई दे जाते हैं। गांधी आश्रम के शोरूम में भी लेडीज कुर्ता, शर्ट, जेंटस कुर्ता और अन्य परिधान के लिए लोग जाते हैं। खादी अब केवल बुजुर्गों ही नहीं युवाओं द्वारा भी पहनी जा रही है। विभिन्न डिजाइन व आकर्षक पैटर्न के कारण ही यह युवाओं की पसंदीदा बन गई है।
युवाओं के वार्डरोब में शामिल 
गांधी आश्रम के खादी शोेरूम के प्रभारी विजय कुमार बताते हैं कि खादी के कुर्ते, टॉप, कमीज, सूट, साड़ी आदि खरीदने के लिए युवा उनके शोरूम में आ रहे हैं। पहले की अपेक्षा अब खादी की ढेरों किस्में आने से ही इसे लोग अपने वॉर्डरोब में शामिल कर रहे हैं। दाम कम और कई बार छूट चलने के कारण ही आजकल ये युवाओं को आकर्षित कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि खादी को पहले आजादी के समय से ही जोड़ा जाता था। फिर नेता लोग ही खादी के कुर्ते पहने दिखते थे। लेकिन अब खादी केवल खद्दर में ही नहीं बल्कि सूती के साथ ही रंगबिरंगे डिजाइन में भी आने लगी है। इसी कारण लोग इसकी खरीदारी समय-समय पर करते रहते हैं। गांधी आश्रम के खादी शोरूम में सूती व सिल्क खादी के ड्रेस मैटीरियल मौजूद हैं। जो लड़कियाँ सूट बनाने के लिए खरीदती हैं। इसके अलावा लड़के-लड़कियों के लिए खादी के प्लेन व प्रिंटेड कुर्ते, साड़ी आदि भी हैं। राष्ट्रीय पर्व के मौके पर इस पर छूट चलने के कारण सबसे अधिक खरीदारी यहाँ से होती है। महिलाओं के लिए 150 से 300 रुपए के बीच में बढ़िया सा कुर्ता आसानी से मिल जाता है। वहीं सिल्क के आइटम 2000 रुपए से शुरू हैं। विजय के अनुसार गर्मी के मौसम में युवा पतले सूती कुर्ते पसंद करते हैं। विशेष तौर पर लड़के लम्बे या शॉर्ट रंगीन कुर्ते खरीदते हैं। इसके अलावा खादी की कमीज भी बेहद डिमांड में रहती है।
सूती खादी, कॉटन सिल्क, मसलिन आदि में लड़कों के लिए लम्बे व शॉर्ट कुर्ते व धोती उपलब्ध है। वहीं लड़कियों के लिए टॉप, शॉर्ट कुर्ते, कुर्ता-सलवार, साड़ी, सूट मैटीरियल खादी ग्रामोद्योग में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।

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