मेरठ। संयुक्त व्यापार समिति मेरठ का एक प्रतिनिधिमंडल नवीन अग्रवाल की अध्यक्षता में व महामंत्री विपुल सिंघल के नेतृत्व में गजेंद्र सिंह शेखावत केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से दिल्ली स्थित उनके आवास पर मिला। प्रतिनिधिमंडल ने मेरठ से होकर गुजरने वाली काली नदी में उद्यमियों द्वारा उद्योगों के प्रदूषित पानी को नदी में प्रवाह करने से रोके जाने तथा नदी की सफाई के संबंध में तथा जल संरक्षण हेतु माननीय प्रधानमंत्री की मुहिम कैच द रेन के तहत सुझाव दिए। 
इस दौरान विपुल सिंघल ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि मेरठ से होकर गुजरने वाली काली नदी का उदगम स्थल मुजफ्फरनगर जनपद में ग्राम अंतवाडा के पास है। प्रवाह में यह नदी नागिन नदी कहलाती है क्योंकि इसमें पानी पूरी तरह से काला हो चुका है। वर्षा ऋतु के अतिरिक्त अन्य ऋतुओं में पानी की मात्रा नगण्य ही रहती है। यह नदी जनपद मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर व अलीगढ़ से गुजरते हुए 500 किमी की दूरी तय कर जनपद कन्नौज के पास ग्राम माधवपुर में गंगा नदी में मिल जाती है। 
उन्होंने बताया कि मुज़फ्फरनगर से चलकर मेरठ में ग्राम सैनी तक यह नदी वर्षा ऋतु के अतिरिक्त सूखी रहती है। ग्राम सैनी में आकर यहां पर बनी कुछ 10 से अधिक उद्योगों के डिस्चार्ज से यह गंदा पानी सींचने का काम करती है, जिस कारण इस क्षेत्र में यह नाले का प्रारूप दिखाई देती है। ग्राम सैनी में ग्राम वासियों द्वारा मवाना रोड सैनी पुल के पास  उद्योगों से एक किलोमीटर पहले बांध लगाकर पानी को रोक रखा है। जहां पर बांध लगा है वहां तक नदी सूखी रहती है तथा पेपर मिलों के डिस्चार्ज के कारण रसायनिक तत्वों के पानी से यह गंदी हो जाती है। ग्रामवासियों का मानना है कि उद्योगों के डिस्चार्ज की पाइपलाइन को भूतल में दबा कर काली नदी में ला कर छोड़ दिया गया है। प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि उप्र सरकार के द्वारा चलाई जा रही नदियों का पानी निर्मल करने हेतु योजना के तहत काली नदी की सफाई मेरठ में की जा रही है। मेरठ में काली नदी की लंबाई लगभग 40 किलोमीटर है।
ग्राम सैनी के पश्चात जहां जहां से उद्योगों का पानी गुजरता है उन सभी ग्रामों में लोगों को कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझना पड़ रहा है। उन्होंने मंत्री से अपनी अध्यक्षता में एक जांच कमेटी गठित कर ग्राम सैनी जनपद मेरठ में उद्योगों द्वारा गंदा रासायनिक पानी छोड़े जाने से रोके जाने की व्यवस्था कराने की मांग की। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री के संज्ञान में लाया गया कि जल संरक्षण हेतु प्रधानमंत्री की योजना कैच द रेन के तहत प्रशासन के साथ समाज सेवी संस्थाएं भी इस मुहिम में लगी हुई हैं। सरकार के द्वारा वाटर हार्वेस्टिंग के लिए लोगों को प्रेरित भी किया जा रहा है तथा विकास प्राधिकरण द्वारा 300 वर्ग मीटर से ज्यादा के मानचित्र वाटर हार्वेस्टिंग की अनिवार्यता के साथ ही स्वीकृत किये जाते हैं। समाजसेवी संस्थाएं भी घर-घर जाकर लोगों को वाटर हार्वेस्टिंग के लिए प्रेरित कर रही हैं, जिन कारणों से कुछ जगहों पर भूजल का स्तर गिरने से रुका है अथवा कुछ जगहों पर जल स्तर बढ़ा भी है। प्रधानमंत्री की योजना कैच द रेन के तहत हमें वर्षा ऋतु के जल का संचयन व संरक्षण भी करना जरूरी है। इस दौरान मंत्री ने प्रतिनिधिमंडलों के सुझावों को मानने का अश्वासन दिया।


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