आज़ादी का जश्न मनायें, आओ झूमे गाएं । दी है जान वतन पर जिसने, उनको नहीं भुलाएं।। वीरों ने जो सपने देखें, पूरा कर दिखलाया और विदेशी गोरों को भारत से मार भगाया याद उन्हें कर अपना तिरंगा, नभ में हम फहराएं
आज़ादी का जश्न मनायें, आओ झूमे गाएं ।। कमर कसी आज़ादी लेंगे, या फिर सिर कटवायेंगे वीरों ने खायी थी कसम , गोरों को मार भगायेंगे अपनी हक़ की खातिर लड़ना वीर हमें सिखलाएं आज़ादी का जश्न मनायें, आओ झूमे गाएं ।। तब तो ना था जातिवाद ना धर्मवाद का झमेला चाह रहे सब दास मुक्त हो आज़ादी का मेला अखण्डता का ज्ञान दिया और सबको एक बनाएं आज़ादी का जश्न मनायें, आओ झूमे गाएं ।।
धरती ये अशफाक की है, बिस्मिल सुभाष भी बेटे हैं हो शहीद आज़ाद, भगत, मां के आंचल में लेटे हैं कुर्बानी का सबक हमारे पूर्वजों ने सिखलाएं आज़ादी का जश्न मनायें, आओ झूमे गाएं ।। अंग्रेजों से बदतर लोग हैं, जिन्होंने हमको बांटा है जातिवाद और धर्मवाद की तलवारों से काटा है बनकर नेक एक बनकर अपनी पहचान बनाएं आज़ादी का जश्न मनायें, आओ झूमे गाएं ।। जातपात और ऊंच नीच के भाव को हमें मिटाना है हर भारतवासी को अखण्डता का पाठ सिखाना है वीर शहीदों की कुर्बानी हम न व्यर्थ गंवाएं आज़ादी का जश्न मनायें, आओ झूमे गाएं ।। खुद साधन सम्पन्न हों हम ना बने किसी पर भार अपनी शक्ति का लोहा माने, ये पूरा संसार भारत विश्वगुरू है अब फिर से ‘एहसास’ कराएं आज़ादी का जश्न मनायें, आओ झूमे गाएं । दी है जान वतन पर जिसने उनको नहीं भुलाएं।। - अजय एहसास
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