- सूर्यदीप कुशवाहा
आदर्श की बड़ी बातें करते नहीं अघाय और खुद बेशर्म निर्वस्त्र घूम रहे हैं। राजा मंत्री संत्री सब गोलमाल में दिमाग खपाए हुए और देश की आदर्शवादी प्रतिष्ठा मटियामेट। पूछता है भारत ऐसे कैसे विश्व गुरु बन पाएगा जहाँ भ्रष्टाचार की कमाई से हवेलीयां बन रहीं हैं और बेचारा गरीब भूखा नंगा बदन लिए नल का पानी पीकर करवट बदल रहा कब नींद में सो गया और सुबह जगा और इधर भ्रष्टाचार में लिप्त बंदा मखमली गद्दीदार बिस्तर पर रात भर बेचैन करवट बदलता, क्योंकि वह कल किसकी जेब काटनी यह सोचता।
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