मेरठ । संभागीय परिवहन अधिकारी मेरठ हिमेश तिवारी ने बताया कि दोपहिया वाहनों के स्वामियों विशेषकर रॉयल एनफील्ड/बुलेट मोटरसाइकिल के स्वामियों के द्वारा वाहन निर्माता द्वारा केन्द्रीय मोटरयान नियमावली के नियम-120 के मानकों के अनुरूप लगाये गये साईलेंसर को निकलवाकर अथवा उसमें परिवर्तन (मोडिफाई) कराया जा रहा है, जो न केवल मोटरयान अधिनियम-1988 की धारा-52 (वाहन में अनधिकृत परिवर्तन) का उल्लंघन है, अपितु धारा 190(2) (निर्धारित मानक से अधिक ध्वनि प्रदूषण) का भी उल्लंघन है। जहाँ धारा-52 के उल्लंघन में रू. 5000/- के जुर्माने का प्रावधान है, वहीं धारा-190(2) के उल्लंघन में रू0 10000/- जुर्माने का मोटरयान अधिनियम के अन्तर्गत प्राविधानित किया गया है। इस प्रकार मोटरसाइकिल के साइलेंसर को निकलवाकर अथवा उसको मोडिफाई करने पर उल्लघंनकर्ता पर रू. 15000/- जुर्माना आरोपित हो सकता है।
उन्होने बताया कि इसी के साथ ही पी0आई0एल0 संख्या-15385/2021 न्वायज पाल्यूशन थ्रू मोडिफाईड साइसेंलर (सुओ मोटो) पी0आई0एल बनाम उ0प्र0 राज्य व अन्य के केस में मा0 उच्च न्यायालय खण्डपीठ लखनऊ द्वारा इस प्रवृत्ति का स्वतः संज्ञान लेते हुए सम्बन्धित विभागों द्वारा कार्यवाही किये जाने के आदेश दिये गये हैं।
उन्होने बताया कि जनपद के समस्त दोपहिया वाहनों विशेषकर रॉयल एनफील्ड/बुलेट के स्वामियों/चालकों को निर्देशित किया जाता है कि यदि उनके दोपहिया वाहन में निर्माता द्वारा लगाये साइलेंसर को निकाल लिया गया है अथवा उसमें परिवर्तन (मोडिफाई) किया गया है तो उसे तत्काल सुधार कराकर वाहन निर्माता द्वारा वाहन विक्रय के समय लगाये गये मानक के अनुरूप ओरिजिनल साइलेंसर पुनः लगवा लें। अन्यथा की स्थिति में विशेष अभियान चलाकर ऐसे वाहन स्वामियों/चालकों के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए जुर्माना आरोपित किया जायेगा साथ ही ऐसे व्यक्ति मा0 उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना के भी उत्तरदायी होंगे।


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