कोर्ट ने मात्र 55 द‍िन में सुनाया फैसला



बहराइच
। अपर सत्र न्यायाधीश रेप/पॉक्सो एक्ट प्रथम नितिन पांडेय ने सोमवार को दुधमुंही बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म के मामले की सुनवाई की। उन्होंने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए दुष्कर्म के साथ हत्या जैसे अपराध का दोषी पाते हुए अभियुक्त परशुराम को फांसी की सजा सुनाई। अदालत ने मामले का 55 दिन में ही निपटारा कर दिया।
 घटना 22 जून 2021 की है। नानपारा कोतवाली के पतरहिया निवासी एक व्यक्ति ने 22 जून को सुबह 9.16 बजे मुकदमा दर्ज कराया। इसमें उसने बताया कि रात डेढ़ बजे के करीब उसकी पत्नी बरामदे में सोई हुई थी। इसी दौरान गांव के परशुराम ने उसकी डेढ़ वर्षीय बच्ची को प्राथमिक विद्यालय उठा ले गया। उसके साथ दुष्कर्म किया। बच्ची को बेहोशी की हालत में फूल के पौधे के बीच में फेंक दिया।
अचानक जब मां की आंख खुली तो उसने अपने पति के साथ बच्ची की खोजबीन शुरू की। खोज करते हुए जब प्राथमिक विद्यालय के पास पहुंचे तो फूल के पौधे की आड़ में बच्ची पड़ी थी। थोड़ी दूर पर आरोपित परशुराम बैठा हुआ था। ग्रामीणों ने पकड़कर सख्ती के साथ जब पूछा तो उसने घटना को स्वीकार किया। सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस ने पीड़ित बच्ची को जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
आरोपित परशुराम को पुलिस थाने लेकर जा रही थी तो उसने भागने का प्रयास किया था, ज‍िसे पुलिस ने पैर पर गोली मारकर गिरफ्तार कर लिया।
विशेष लाेक अभियोजक पाक्सो एक्ट संतप्रताप सिंह व संतोष सिंह ने बताया कि अपर सत्र न्यायाधीश पाक्सो एक्ट प्रथम के न्यायालय पर पुलिस ने तीन जुलाई को आरोप पत्र दाखिल किया। अदालत ने 30 जुलाई को अभियुक्त के विरुद्ध आरोप बनाया और अभियोजन पक्ष की ओर से नौ गवाह प्रस्तुत किए गए। अदालत ने 10 कार्य दिवस में ही मामले का निपटारा कर दिया।
अदालत ने पीड़िता को सिंहिनी के नाम से संबोधित किया और अभियुक्त परशुराम को मृत्युदंड की सजा सुनाते हुए कहा कि अभियुक्त को फांसी के फंदे पर तब तक लटकाया जाय, जब तक उसकी मृत्यु न हो जाए।

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