चार  साल  में न तो बदले कपडे न ही बनायी दाढी 

सामाजिक संस्था ने शख्स को कराया  आजाद 

  न्यूज प्रहरी प्रखर संवाद -कपिल कुमार 

 

करनाल। हरियाणा के करनाल जिले एक  बेहद शर्मशार करने वाला मामला सामने आया है। जहां प्रोपट्री की खातिर एक भाई  ने अपने सगे भाई को पिछले 4 साल  से एक कमरे में  कैद किया हुआ था। जहां वह नरकीय जिंदगी जीने को मजबूर था। कैद से  आजाद  किये गये  व्यक्ति ने पिछले  चार साल में कपडे नहीं बदले  थे न ही दाढी बनायी थी। अपने भाई को आजाद किये गये  व्यक्ति  में  इतना ज्यादा खौफ था वह कमरे से बाहर निकलने  के लिये डर रहा था। इस  मामले मेंं प्रशासन व पुलिस की ओर से कैद करने वाले भाई के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। 



 करनाल की एक कालोनी में विजय कुमार का मकान है वह सरकारी नौकरी में आहदे पद पर है। उनका एक भाई 50 वर्षीय संजीव है। माता पिता की मृत्यु होने के पश्चात मकान पर कब्जा करने के  उददेश्य से उन्होंने अपने मकान में अपने भाई संजीव को कैद कर दिया। पिछले चार साल से वह एक ऐसे कमरे में नरकीय जिदंगी बिता रहे थे। बडे भाई विजय व उनके बेटे उसने के लिये खाना देने के लिये आते थे। लेकिन उनका दर्द पूछने की किसी न  जहमद नहीं उठायी। कई बार आपपडोस के लोगों ने उन्हेें  नहलाने के लिये व साफ सफाई करने के लिये कहा  तो उन्होंने कहा भाई आकर नहला देगा। पिछले चार साल में संजीव ने न तो अपने कपडे बदले थे न ही दाढी बनायी थी। जिसके कारण बिनायान का रंग सफेद से  काला पड गया। कपडे भी इतने ज्यादा सख्त हो  गये थे। एक आम  आदमी शायद ही ऐसे कपडे पहने । इस बात की जानकारी सामाजिक संगठन आशियाना के सदस्या राजकुमार अरोडा व अनु मदान को हुई तो वह अपनी टीम के साथ उस मकान में पहुुंची। किसी तरह दरवाजा खुलने के बाद उन्होने जो कमरे के अंदर की तस्वीर देखी वह खुदवाखुद बयंा कर रही थी। टीम के सभी सदस्यों चौक गये। कमरे के  अंदर छत से पानी चू रहा था। बिस्तर पूरी तरह  गंदा था। फर्श में भी कीचड हो रही थी। बाथरूम व शौचालय  की हालत इतनी ज्यादा खराब थी। कोई भी व्यक्ति वहां  शायद ही जाना प्रंसद करे। संजीव की दाढी बडी हुई थी। कपडे की हालत से साफ पता चल रहा था। पिछले चार साल में उन्होंने कपडे ही नहीं बदले। लंबे समय से  कमरे में बंद संजीव को रोशनी में आने के बाद साफ दिखाई भी नहीं दे रहा  था। हालत बयां करने वाले नहीं थे। तत्काल टीम ने डिप्टी मेयर राजेशअग्गी व पुलिस को तत्काल इत्ला दी। जिस पर सभी मौके पर पहुंच कर हालत देख कर दुख जताया । सब का कहना था भगवान दुश्मन के  साथ ऐसा न करे। 
   भाई का खौॅफ से बाहर आने  के लिये तैयार नहीं हुआ संजीव 
जब टीम के सदस्यों ने संजीव को कमरे से बाहर निकालने के लिये प्रयास किया तो उसने कहा  भाई आने  वालाहै। उसका चेहरे से  साफ झलक रहा  था कि भाई का खौफ किस कद र उस पर छाया हुआ  था। कमरे से बाहर निकलने  के बाद पुलिस व डिप्टी मेयर की मौजूदगी में टीम संजीव को अपने साथ  उपचार कराने के लिये  ले गये। लेकिन एक बात  साफ है कि समाज  के  कुछ लोगों की मानसिकता इतनी ज्यादा बदल गयी है। वह अपनो की ही  जिदंगी से खिलवाड करने से गुरेज  नहीं  कर  रहे है। 
 

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