नई दिल्ली (एजेंसी)।जनहित याचिका दायर करने वाले पेशेवर वादियों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बेहद अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि ऐसे याचिकाकर्ताओं की की याचिकाओं पर तब तक सुनवाई नहीं करेगा जब तक कि वह उन पर लगाए गए जुर्माने की राशि जमा नहीं कर देते। कोर्ट की यह टिप्पणी इस वजह से भी अहम हैं क्योंकि कई बार ऐसी जनहित याचिकाएं दाखिल कर दी जाती हैं जिनकी वजह से अदालत का समय बर्बाद होता है।

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि जनहित याचिका दायर करने वाले पेशेवर वादियों को तब तक नहीं सुनेगा जब तक कि वे अदालत द्वारा उन पर लगाए गए जुर्माने की राशि जमा नहीं कर देते। न्यायालय दो व्यक्तियों द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रहा था। इन पर शीर्ष अदालत ने अगस्त, 2017 में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा की नियुक्ति को चुनौती देने वाली एक 'प्रायोजित' याचिका दायर करने के लिए पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।
एक याचिकाकर्ता की मौत तो दूसरे जेल में
शीर्ष अदालत को सूचित किया गया था कि उनमें से एक स्वामी ओम की मृत्यु पिछले साल कोविड महामारी की पहली लहर के दौरान हुई थी, जबकि मुकेश जैन पिछले एक साल से बालासोर जेल में हैं।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने जैन की ओर से पेश अधिवक्ता एपी सिंह से कहा कि वह पहले ही जुर्माना माफ करने के आवेदन को खारिज कर चुकी है और उन्हें अवमानना नोटिस जारी किया जा चुका है।
जुर्माना भरना होगा या हम सजा देंगे: अदालत
पीठ ने कहा कि हम किसी जनहित याचिका दायर करने वाले पेशेवर वादियों को तब तक नहीं सुनेंगे, जब तक कि वे उन पर लगाए गए जुर्माने का भुगतान नहीं करते। उन्हें (जैन) जुर्माना भरना होगा या हम उन्हें सजा देंगे।
न्यायालय ने सिंह से कहा कि वह जैन को जुर्माना भरने के लिए कहें या सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत आदेश पारित करेगी कि जब तक वह जुर्माना अदा नहीं करते, वह उच्चतम न्यायालय के समक्ष कोई याचिका दायर नहीं कर सकते।

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