- संदीप भट्ट
पिछले साल की शुरूआत से दुनिया अब तक कोविड संक्रमण की चपेट में है। एक अजीब से भयावह दौर से समूचा मानव समुदाय गुजर रहा है। इस बीच हम सबने लंबे समय के लिए लाकडाउन भी देख लिए हैं। लोगों के आफिस, कारखाने, बाजार, बैंक और स्कूल और भी न जाने क्या-क्या कई महीनों तक बंद रहे। इनमें से कई संस्थाओं ने पिछले साल लाकडाउन के कुछ ही वक्त बाद आनलाइन काम करना शुरू कर दिया था, लेकिन उनकी इमारतें अभी भी बीते समय की चहल-पहल को याद करती हैं। लोग भी अपने पुराने दिनों में लौटना चाहते हैं लेकिन संक्रमण की कई लहरों ने हमारे दिलों में अदृश्य डर तो भर ही दिया है।
बहुत हद तक कोरोना ने कोरोना के बाद तकनीक बहुत से कार्यक्षेत्रों का नेतृत्व करेगी। वर्क फ्राम होम को लगभग 1 वर्ष से अधिक हो चुका है। कंपनियों को यह समझ आ गया है कि कर्मचारियों को बिना आफिस बुलाए उनके घरों से भी काम करवाया जा सकता है। इससे बहुत से गैर जरूरी खर्चों को भी बचाया जा सकता है। अधिकांश ऐसे काम जो सूचना प्रौद्योगिकी की सहायता से किये जा सकते हैं, उनके लिए कंपनियों को भारी भरकम तामझाम वाले आफिस को मेंटेन करने की आवश्यकता नहीं होगी। लाकडाउन के बाद से हर तरफ यह महसूस किया गया है कि घर से ही काम करना, ई-कामस, आटोमेशन जैसे क्षेत्रों में मांग बढ़ी है। कई शोध बताते हैं कि ई कामर्स जैसे क्षेत्रों में कोविड से पहले की तुलना में चार-पांच गुना तक वृद्धि दर्ज की गई है।
लंबे समय से कोविड के खिलाफ लड़ते हुए अनेक देशों में बहुत सी चीजें अब धीरे-धीरे अनलाक हो रही हैं। लेकिन यह भी सही है कि अभी दुनिया पूरी तरह अनलाक नहीं हुई है। इसलिए कामकाज के माहौल में अभी बहुत तेजी नहीं है। वर्क फ्राम होम, रोटेशनल वर्किंग और कई जरूरी एहतियाती उपायों के साथ दुनिया काम कर रही है। पर सामान्य दिनों में अभी बहुत कुछ बदलने वाला है।
इस बात के आंकड़े अब आने लगे हैं कि कोरोना और लाकडाउन के चलते कामकाज की शैली किस तरह बदल चुकी है। बहुत सी सूचनाओं के आधार पर विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि कोरोना के बाद, बदले हालातों में हमारे रोजमर्रा के कामकाज की दुनिया कैसे बदल जाएगी। वैश्विक बाजार पर नजर रखने और इसी दिशा में शोध करने वाली कंपनी मैकिंसे ने अनुमान लगाया है कि आने वाले सामान्य दिनों में काम करने के तरीकों में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
मैकिंसे ने अलग-अलग देशों में 800 तरह के पेशों में 2000 तरह के विविध कार्यों के आधार पर कुछ निष्कर्ष निकाले हैं। इसका अनुमान है कि आने वाले वक्त में विश्व की मजबूत और अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं वाले मुल्कों में 25 प्रतिशत तक के कामकाजी लोग अपने घरों से ही काम करेंगे।
यह सही है कि कोरोना और लाकडाउन के हालातों ने विश्व में करोड़ों लोगों के रोजगार को सीधे-सीधे प्रभावित किया है।
महामारी अपने साथ गंभीर आर्थिक संकट और चुनौतियां भी लाई है। इसके बहुत कम प्रमाणिक आंकड़े या रिर्पोट है कि पिछले साल से अब तक किसी एक देश में या दुनियाभर में कोरोना से कुल कितने लोगों की नौकरियां खत्म हुई हैं । इस सवाल के संबंध में भी किसी तरह के सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं कि अलग-अलग सेक्टर्स में काम के अवसर किस हद तक कम हो गए हैं। आटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ कई क्षेत्रों में बहुत बदलाव आएंगे।
भारत दुनिया के उन देशों में शामिल हैं जहां अनेक क्षेत्रों में कामकाज की शैली और रोजगार संबधी व्यापक बदलाव आ रहे हैं। नेशनल इन्वेस्टमेंट प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन एजेंसी का आंकलन है कि भारत दुनियाभर में डिजिटल कौशल के क्षेत्र में दुनिया में एक उभरता हुआ देश है। यहां सूचना प्रौद्योगिकी का बहुत बड़ा बाजार मौजूद है। पिछले वित्तीय वर्ष तक देश में 40 लाख लोग सीधे तौर पर आईटी सेक्टर में काम कर रहे थे। साल 2025 तक भारत में 90 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता होंगे। भारत में संगठित रिटेल मार्केट का कुल 25 प्रतिशत बाजार ई कामर्स से जुड़ा हुआ है। साल 2030 तक यह बढ़कर 37 फीसदी हो जाएगा। देश में वस्त्र, इलेक्ट्रानिक्स, बच्चों के उत्पादों, फर्निशिंग, पर्सनल केयर आदि उत्पादों के बाजारों में ग्राहकों की आनालाइन खरीद और उपस्थिति लगातार बढ़ती ही जा रही है।
लाकडाउन में किराने के दुकानदारों तक लोगों ने सोशल मीडिया के जरिये ही अपने घर के सामान की लिस्ट भेजी और अपनी जरूरतों का सामान मंगवाया। इस तरह देश में ई-कामर्स का दायरा और बढे़गा इसके साथ ही इसमें रोजगार की नई संभावनाएं भी आएंगी। शिक्षा, स्वास्थ्य, कंसल्टेशन और सर्विस आदि सेक्टर्स में भी संचार और सूचना-प्रौद्योगिकी के अप्रत्याशित समावेश से बहुत से बदलाव आ चुके हैं। अनेक लोगों ने अपने रोजगार बदल लिए हैं। नौजवान आने वाले वक्त के बदले परिवेश के लिए स्वयं को तैयार कर रहे हैं। कहना मुनासिब होगा कि अब कोविड के बाद के समय में हमारे कामकाज की दुनिया बहुत हद तक बदल जाएगी।
- (स्वतंत्र टिप्पणीकार)
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