राजेन्द्र सिंह

वैवाहिक जीवन नारी के लिए सीढिय़ां चढऩे के समान कठिन व उतरने के समान आसान है। पति के साथ रहते पति-पत्नी का रूठना और मनाना वैवाहिक जीवन की एक मिठास है। यह मिठास भरा जीवन कभी-कभी कड़वाहट में बदल जाता है मात्र पति-पत्नी की जिद की वजह से। ऐसे में अगर एक भी सहनशील न हो तो घर कुरूक्षेत्र का मैदान हो जाता है।
जीवन रूपी गाड़ी के स्त्री और पुरूष दो पहिए होते हैं। जीवन की दौड़ में पति के साथ रहते कभी भूले से झगड़ा हो जाये और आप रूठ-कर मायके आई हैं तो भूलकर भी ससुराल की बुराई न करें। इन बुराइयों का कोई लाभ नहीं क्योंकि इससे उल्टा आपके माता-पिता, भाई और अन्य निजी सम्बन्धियों को ही दु:ख पहुंचेगा और स्वाभाविक है उन सबकी अपने रिश्ते के अनुरूप आपके पति के प्रति कुंठित भावनाएं जागृत होंगी।
प्राय: पाया जाता है कि विवाह के बाद पति से लड़कर या रूठकर मायके लौटने वाली बेटी को कोई भी अभिभावक सिर आंखों पर नहीं बैठाता। यूं माता-पिता का रिश्ता कायम रखने के लिए उसे खाने-पीने का सहारा अवश्य मिल जाता है, फिर भी एक दिन मायके वाले ऊब जाते हैं। उन्हें अपनी ही बेटी अपनी छाती पर मूंग दलती नजर आती है। वे भीतर ही भीतर उससे घुटने लगते हैं और धीरे-धीरे तिरस्कार की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
पति से रूठकर मायके आयें तो वहां आकर ससुराल में बीते दुखड़े न रोयें क्योंकि विवाह के बाद वास्तविक घर बेटी का ससुराल ही माना गया है। जो पत्नियां झगड़कर मायके आकर अपने माता-पिता को भड़काती हैं, उनका सुखमय जीवन जो शायद आगे व्यतीत होना हो, उसमें कांटे बिछ जाते हैं। माता-पिता गुस्से में दामाद मियां से बुरा भला कह देते हैं तो भी बात वहीं की वहीं रहती है लेकिन जब समय को देखकर पत्नी को पति के साथ ससुराल जाना ही पड़ता है, तब उसकी स्थिति धोबी के कुत्ते के समान होती है जिसे न मायके का उतना प्यार मिलता है और न ही ससुरालवालों का।
अक्सर पत्नी के रूठकर मायके चले आने पर उसके पति परमेश्वर उसके पीछे-पीछे अपने ससुराल पहुंचने की राह ले ही लेते हैं तब पत्नी को सब भूलकर अपना रूठापन त्याग कर मुस्कराहट भाव लिए आदर अवश्य करना चाहिए।
हां, इतना माना जा सकता है कि उनके घर मायके आने पर पहले दिखावे के लिए गुस्सा किया जाये लेकिन इसमें भी प्यार की झलक आवश्यक है। जब पतिदेव ने हारकर अपने कोड्ड सब तरह से आपके हवाले कर दिया है तो उन्हें अभयदान देकर बेहद प्यार का इजहार करें। पति के गले लगकर अपनी अश्रु गंगा जरूर बहाएं जिसमें पति सिर से पैर तक तर होने को मजबूर हो जाये।
इस तरह की छोटी-छोटी बातों को मात्र कलात्मक ढंग से पति-पत्नी दोनों ही रूठने मनाने के लिए अपनाएं तो पति-पत्नी का जीवन एक ही स्याही में अवश्य रंगा जायेगा।
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