डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’

(हिंदी अकादमी, मुंबई से सम्मानित व्यंग्यकार)


एक दिन फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और वाट्सप चाय पीने के लिए बैठे थे। चारों बहुत चहक रहे थे। फेसबुक का फेस, ट्विटर की चोंच, इंस्टा की गुलाबी मुस्कुराहट और वाट्सप की हरियाली खुशी देखते ही बनती थी। उन्हें गुमान हो चला था कि दुनिया में वे ही सबसे ज्यादा काम करते हैं और बाकी सब बेकार बैठे हैं।

वाट्सपः हेलो ब्रो! और क्या चल रहा है?



फेसबुकः क्या बताऊँ दोस्तों! एक से बढ़कर एक शवों की सुंदर तस्वीरें और वीडियो पोस्ट किए जा रहे हैं। लोगों में गजब होड़ लगा है। पहले मैं-पहले मैं की तर्ज पर चेंपने का गजब उत्साह है। न जाने कहाँ-कहाँ से तस्वीरें और वीडियो उठा लाते हैं कि पूछो ही मत। कभी-कभी तो बड़े-बड़े समाचार पत्र और टीवी चैनल मेरे पास ये चित्र और वीडियो उधार मांगकर ले जाते हैं। दिन दुनी रात चौगुनी शवों और कोरोना पॉजिटिव वालों की वृद्धि होती जा रही है। पिछले डेढ़ साल से मुझे पसीना पोंछने तक की फुर्सत नहीं है।
इंस्टाग्रामः दोस्तों! मैं तो इस मामले में खुशकिस्मत हूँ। मैं तो ऊँचे लोगों की पसंद हूँ। देश-दुनिया जाए भाड़ में मुझ पर पाउट बना-बनाकर हसीनाएँ अपनी खूबसूरती बिखेरती हैं। सेलेब्रेटी रसोई में एक से बढ़कर एक व्यंजन बनाकर होड़ लेते हैं। मेरे यहाँ गरीबों, मरीजों, भुखमरों की कोई जगह नहीं है। मैं ऊँचे लोगों की ऊँची पसंद हूँ।
ट्विटरः मेरा तो पूछो ही मत। मैं तो अपनी पुरानी बातों को डिलिट करने में लगा हूँ। कोई पेट्रोल की बात तो कोई रसोई गैस की बात कोई विकास की बात तो कोई कुछ डिलिट करने में लगा है। मैं तो गढ़े मुर्दे खोदकर निकालने का बहाना हो गया हूँ। ऊपर से किसे ब्लू टिक दूँ किसे न दूँ, समझ में नहीं आ रहा है। इस टिक के चक्कर में मेरा टिकना दुश्वास हो गया  है।
वाट्सपः तुम लोगों की हालत गनीमत मुझसे अच्छी है। मेरा तो पूछो ही मत। मुझ पर तो लोग शेर आया, शेर आया जैसी झूठी अफवाहों का खेला चल रहा है। आज बड़ी आसानी से सिरिया की कोई तस्वीर भेज कर उसे देश में हुए रेल दुर्घटना से जोड़ दिया जाता है। कभी और कहीं की फोटो भेज कर कहा जाता है इस बच्ची के दिल में छेद है और इसके प्रत्येक शेयर पर इसके ऑपरेशन के लिए कुछ खास रकम मिलेगी, बता दिया जाता है। किसी हैकर द्वारा कोई लिंक आसानी से मुझ पर टरका दिया दिया जाता है और कहा जाता है इस लिंक पर जाने पर आपके मोबाइल नेटवर्क पर 500–1000 रूपए का रिचार्ज हो जायेगा। कभी बड़ी हस्तियों को इंटरनेट पर झूठी खबर फैला का मार तक दिया जाता है।
इतना ही नहीं, कई बार सोशल मीडिया में ऐसी तस्वीरें चक्कर काटती नजर आती है, जिसमें यह बताया जाता है कि किसी का बच्चा या फिर प्रमाण पत्र गुम हो गए हैं। आगे चलकर पता चलता है कि बच्चा तो कभी का मिल गया, लेकिन जब-जब वह स्कूल के लिए बैग लेकर निकलता है तब-तब उसे यह कहकर घर लौटा दिया जाता है कि गुम हुआ बच्चा यही है। शायद वह बच्चा अब कभी स्कूल न जा पाए! लेकिन इतना है कि देश में सभी व्यस्त हैं, खाली कोई नहीं बैठा है।


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