संजीव ठाकुर


शिमला, कुल्लू, मनाली और अन्य हिल स्टेशनों में लगभग 20, हजार गाड़ियां पर्यटकों को की रोज पहुंच रही है। और लगभग 6 से 8 लाख लोग वहां पर्यटन का आनंद लेने कोविड-19 प्रोटोकॉल कि जिस तरह से धज्जियां उड़ा रहे हैं, निश्चित तौर पर यह 6 से 8 लाख लोग करोना की तीसरी लहर का प्रमुख केंद्र होंगे। और यही लोग पूरे देश मेंकोविड-19की तीसरी लहर फैलाने के जिम्मेदार होंगे।



भारत का गरीब सर्वहारा वर्ग वैसे भी अपनी रोजी-रोटी और रोज कमाने तथा खाने वाली स्थिति से निपट नहीं पा रहा है, फिर उस पर कोविड-19 का संक्रमण, दुबले पर दो आषाढ़, जैसी स्थिति बन गई हैl गरीब आदमी जिए या मरे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। ऐसे में दूसरी लहर के कमजोर पड़ते ही अमीर लोग अपने अपने घरों से निकल पड़े हैं पर्यटन के लिए शिमला, कुल्लू, मनाली, ऊटी और दूसरे हिल स्टेशनों पर मौज मस्ती के लिए और निश्चित तौर पर यह बड़े-बड़े हिल स्टेशन जहां लाखों की संख्या में पर्यटक बिना कोविड-19 के प्रोटोकॉल को मानते हुए मनोरंजन करने निकले हैं। 
        यह कोविड-19 की तीसरी लहर के सबसे बड़े हॉटस्पॉट होंगे, और कोविड-19 ग्राउंड का धमाका यहीं से शुरू होने वाला है। यह खुलेआम पर्यटन स्थलों पर मौज मस्ती करने वाले पैसे वाले अमीर लोग अपना इलाज तो आसानी से करवा लेंगे पर सबसे बड़ी मुसीबत गरीब तथा सर्वहारा वर्ग के लिए होगी जिनके पास दो समय का खाने के लिए पैसा नहीं है ऐसे में रोज कमाने खाने वालों के सामने अब रोटी का संकट सामने आ गया है, इलाज करवाना तो दूर अस्पताल पहुंचने तक के लिए उनके पास रुपए नहीं होते हैं। ऐसे में यदि भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर पर्यटन स्थलों में घूमते हुए बेखौफ लोगों से भारत फिर फैलती है, तो आम जनता का जीवन यापन कठिन तथा दुष्कर हो जाएगा। जिंदगी बचाने के लिए त्राहिमाम त्राहिमाम होने की पूरी संभावना है।
        देश में कोरोना की प्रथम लहर के थोड़े से नियंत्रण में आने के बाद सरकारों और आला अधिकारियों को यह गलतफहमी हो गई थी, कि करोना पूरी तरह नियंत्रित हो गया है। वापस लौटकर नहीं आएगा। इसीलिए उन्होंने बाजार, आम सभाएं, शादी समारोह, होटल, टॉकीज,बड़े बड़े मॉल को खोलने की तथा ग्राहकों को आमंत्रित करने की अनुमति दी थी। और नीति निर्माता, राज्य सरकारों, केंद्र सरकार तथा मंत्रालय में बैठे बड़े-बड़े आला अधिकारियों ने कभी कल्पना ही नहीं की थी कि करोना की दूसरी लहर भी आएगी, और इसी के चलते उन्होंने न तो कोई दूरदर्शी नीति बनाई और ना ही इससे बचने के किसी उपाय पर विचार ही किया ।यह उनकी सबसे बड़ी गलती थी, तथा अदूरदर्शिता भी थी ।
लेकिन करोना कि दूसरी लहर ने संक्रमण की जो तबाही मचाई और लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया, अभी करोना की दूसरी लहर थमती नहीं दिख रही है। 
            नीति निर्माता, नेताओं, मंत्रियों और आला अधिकारियों को कोविड-19 की तीसरी लहर के इंतजाम अभी से शुरू कर देना चाहिए, क्योंकि तीसरी लहर बहुत ही खतरनाक ज्यादा संक्रामक और जानलेवा होने वाली है। यह तीसरी लहर का वैरीऐट बच्चों तथा युवा लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगा, और इसके कोई लक्षण भी नहीं दिखाई देंगे, कोविड-19 की पहली लहर में संक्रमण दस दिन तक अपने उफान पर रहता था अब दूसरी लहर में 5 दिन में या पूरे शबाब पर आ जाता है, तीसरी लहर में न जाने यह दो या तीन दिन में अपना सर्वाधिक असर दिखाने वाला होगा,अभी क्योंकि बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं ,मैदान में खेलने नहीं जा रहे हैं ,इसीलिए यह उन्हें प्रभावित नहीं कर पा रहा है। जैसे ही स्कूल खुलेंगे बच्चे स्कूल जाना शुरू करेंगे, तो एक दूसरे को ज्यादा संक्रमित करने की आशंका होगी। ऐसे में तीसरा संक्रमण कॉल बहुत ज्यादा डरावना और संक्रमण का होगा। वह दूसरे संक्रमण काल से भी ज्यादा मौत देने वाला होगा, ऐसे में सरकारों को, आमजन को, नागरिकों को, यह समझ जाना चाहिए की विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रचारित, प्रसारित गाइडलाइंस का पूर्णता पालन कर वैक्सीनेशन करवाना अत्यंत आवश्यक होगा।
                                - स्वतंत्र लेखक, रायपुर (छत्तीसगढ़)।

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