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- राजा तालुकदार

सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस रीढ़ की हड्डियों से संबंधित रोग है जिससे वैसे लोग ग्रसित होते हैं जो गर्दन झुकाकर काफी समय तक काम करते हैं। यह रोग आजकल काफी तेजी से बढ़ रहा है। आज से 30-40 साल पहले लोग इस रोग का नाम तक नहीं जानते थे लेकिन आज किसी व्यक्ति के गले में सर्वाइकल कॉलर देखकर कोई भी कह देता है कि यह व्यक्ति सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस से ग्रसित है। आज लोग सुख सुविधा के भौतिक साधनों को जुटाने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं। कम्प्यूटर के आगे बैठे काफी अर्से तक काम करते हैं। कार्यालयों में गर्दन झुकाकर 8-10 घंटे काम करते हैं। सीना तान कर या गर्दन उठा कर चलने की बात लोग भूल ही गए हैं। घर में ऐशो आराम के सारे भौतिक साधन मौजूद हैं। सो लोग मुलायम सोफे पर बैठते हैं या मुलायम बिस्तर पर सोते हैं, वे भी नींद की गोलियां लेकर या शराब के एक दो पैग चढ़ा कर। व्यायाम करने के लिए आज लोगों के पास समय ही नहीं है। इन्हीं सब कारणों से रीढ़ की बीमारियों की उत्पति होती है।
इस रोग के प्रमुख कारणों में लम्बे अर्से तक आगे की ओर झुककर काम करना, गर्दन झुकाकर चलना, मुलायम बिस्तर पर सोना, मानसिक तनाव, घबराहट, चंचलता, शारीरिक श्रम या व्यायाम न करना आदि है। एक ही मुद्रा में लम्बे अर्से तक सर्वाइकल वर्टिब्रा का प्रयोग तथा व्यायाम न करने से दो कशेरूकाओं के बीच की खाली जगह क्र मश: घटने लगती है। इसे स्पांडिलाइटिस चेंज कहा जाता है। इसके कारण उस वर्टिब्रा से जुड़ी मांसपेशियों का मार्ग अवरूद्ध होने लगता है। फलत: गर्दन और उसके इर्द गिर्द दर्द होने लगता है जो आगे चल कर सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस में बदल जाता है।
समय पर इलाज नहंीं करने से स्नायुओं पर दबाव और बढ़ जाता है जिसके कारण समूचे हाथ और अंगुलियों में दर्द होने लगता है। कलम पकडऩे में और मुटठी बांधने में परेशानी होती है। उंगलियों में झुनझुनाहट महसूस होती है। समय पर सही इलाज नहीं करने पर हाथ की मांसपेशियां सूज कर समूचे हाथ के लकवाग्रस्त हो जाने की संभावना रहती है।
शुरू में सावधानी बरत कर इस रोग से आसानी से बचा जा सकता है। यदि आप आगे की ओर झुककर काम करते हैं तो शाम को कम से कम 5 मिनट पीछे की ओर झुककर व्यायाम करें। इससे सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस की बीमारी नहीं होगी।
यदि आपकी गर्दन में दर्द होता है तो अस्थि रोग विशेषज्ञ से सलाह ले कर गर्दन का एक्स-रे कराएं। यदि आप सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस से ग्रसित हो ही गए हैं तो कुछ परहेज करते हुए निम्न व्यायाम करें तो जरूर लाभ मिलेगा।  
दर्द अधिक रहने पर अल्पकालीन अल्ट्रा सोनिकथेरेपी की आवश्यकता पड़ती है जिसे घर पर आसानी से दिया जा सकता है। थेराप्युटिक एक्सरसाइज के रूप में स्टैटिकनेक एक्सरसाइज करना भी लाभदायक होता है।
पहले दायें गाल पर दायीं हथेली लगाएं और दायीं ओर गर्दन घुमाने की कोशिश करें अर्थात दाएं हाथ पर दबाव रहेगा और आप उस दबाव के विपरीत दिशा में देखेंगे।
ठीक उसी प्रकार बायें गाल पर बायां हाथ लगाएं तथा उपरोक्त अनुसार ही क्रि या करें।
अब दोनों हथेलियों को माथे पर टिकाकर माथे पर दबाव डालें। इस दबाव के विपरीत माथे से दबाव डालें।
अब दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में फंसाकर सिर के पीछे के हिस्से पर लगाकर सिर पर आगे की ओर दबाव डालें तथा उस दबाव के विपरीत माथे को पीछे की ओर दबाएं।
अब गर्दन को सीधा कर के दायीं और बाईं ओर व पीछे की ओर झुकाएं। ऐसा कई बार करें और सामने की ओर गर्दन न झुकाएं।
पेट के बल लेट जाएं। दोनों हाथों को कानों से सटाए हुए सामने की ओर फैलाएं। फिर ढीला छोड़ दें। ऐसा करीब 10 बार करें।
अब करीब 1० मिनट श्वास की मुद्रा में विश्राम करें। इन व्यायामों को शुरू में 1० मिनट करें। फिर व्यायाम का समय धीरे-धीरे बढ़ाते जाए। गरदन पर बेचैनी महसूस हो तो घर पर आधे घंटे तक टै्रक्शन लें। आवश्यकतानुसार सर्वाइकल कॉलर की मदद लें।
योगासन में भुजंगासन व मत्स्येन्द्रासन से लाभ मिलता है। इसलिए इसे करें।
सावधानियां:-
- आगे की ओर झुककर कोई काम न करें। यदि आगे झुककर काम करना ही पड़े तो सर्वाइकल कॉलर का व्यवहार अवश्य करें।
- मुलायम बिस्तर और तकिए का इस्तेमाल न करें। यदि तकिए का इस्तेमाल करना ही पड़े तो बिलकुल पतले तकिए का इस्तेमाल करें।
- मानसिक तनाव, चिन्ता, बेचैनी व घबराहट से बचें।
- आगे झुककर कोई व्यायाम न करें तथा बस की पिछली सीट पर सफर करने से बचें। गर्दन में होने वाली सभी प्रकार की दर्द को सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस नहीं कहा जा सकता क्योंकि अत्यधिक तनाव के कारण भी गर्दन में दर्द होने लगता है।
- गर्दन के वर्टिब्रा में किसी पुरानी चोट के कारण डिजेनरेटिव चेंज होकर दर्द हो सकता है। गर्दन से जुड़ी ट्रापिजियम नामक मांसपेशी या अन्य किसी अनुरूप मांसपेशी में खिंचाव पैदा होने के कारण भी गर्दन में दर्द पैदा हो सकता है।
- फ्रैक्चर की वजह से भी गर्दन में दर्द हो सकता है। इस स्थिति में जबड़े और कान के आंतरिक हिस्से में भी दर्द होता है, इसलिए गर्दन में दर्द होने को सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस मानकर स्वयं इलाज न करें बल्कि किसी अस्थिरोग विशेषज्ञ से मिल कर सलाह लें तथा उसके अनुसार ही उपचार करें।


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