स्मारक सडकों व संस्थाओं के नामकरण के रूप में स्मरण किया जा सकता है

-विश्वविद्यालय मेरठ द्वारा आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव  मंथन सेमिनार श्रृंखला


मेरठ। स्वाधीन भारत वैश्विक पटल पर विशेष स्थान रखता है। स्मारक सडकों व संस्थाओं के नामकरण करके महापुरूषों को स्मरण किया जा सकता है। भारतीय इतिहास का गौरव समृद्धशाली है। स्वाधीनता की उपलब्धियां महत्वपूर्ण है। स्वाधीनता संग्राम के महापुरुषों के शौर्य का स्मरण करते हुए उन्होंने  कहा कि स्वाधीन भारत वैश्विक पटल पर भाषा ,संस्कृति, शिक्षा के माध्यम से विशिष्ट पहचान रखता है।  आगामी समय नव उत्कर्ष का समय है। समता, समानता, समृद्धता में विश्वास के साथ राष्ट्र उन्नतिशील है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी  इस दृष्टि से एक वरदान है। नित नई एवं विकासशील योजनाओं के क्रियान्वयन से राष्ट्र, संस्कृति,संविधान और तिरंगा वैश्विक स्तर पर विशिष्ट पहचान रखता है। यह बात विशिष्ट वक्ता तरुण विजय पूर्व संपादक पांचजन्य, पूर्व सांसद एवं अध्यक्ष राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, दिल्ली ने वेबिनार के दौरान कही।
विशिष्ट वक्ता प्रो॰ कौशल किशोर मिश्र, संकाय प्रमुख मानविकी बी॰एच॰यू॰, वाराणसी ने कहा कि पराधीनता की स्मृति से स्वाधीनता का अर्थ अधिक समझा जा सकता है । वैश्विक मानवता की संकल्पना को राष्ट्र आगे बढ़ता है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी से लेकर अन्य कई क्षेत्रों में भारत विशिष्ट उपलब्धियां संजोए हुए है । मेरठ के प्रथम स्वाधीनता संग्राम को याद करते हुए उन्होंने कहा कि मेरठ क्रांति धरा है। यहाँ के स्वाधीनता संग्राम ने आजादी की अलख जगाई । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के मा. कुलपति प्रो. नरेन्द्र कुमार तनेजा ने कहा कि राजनीति संस्कृति का विशिष्ट आयाम है  ।  संस्कृति बहुआयामी धारणा है। सांस्कृतिक श्रेष्ठता के कारण भारत वैश्विक स्तर पर श्रेष्ठ राष्ट्र रहा है। भारतीय लोकतंत्र परिपक्व है जिसका श्रेय परिपक्व भारतीय राजनीति व्यवस्था को जाता है।

कार्यक्रम के संयोजक प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी संकायाध्यक्ष कला एवं अध्यक्ष  हिंदी विभाग ने कार्यक्रम का संचालन और विषय प्रवर्तन किया,  उन्होंने भारत को समृद्ध लोकतांत्रिक परंपरा  संपन्न देश बताया और उन्होंने सभी आमंत्रित अतिथियों का स्वागत किया।
अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन प्रो रूप नारायण कार्यक्रम सह संयोजक एवं आचार्य वनस्पति विज्ञान विभाग ने किया।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. वाई. विमला, प्रो. जायसवाल डॉ अलका तिवारी, प्रो० बीरपाल सिंह, प्रो.आलोक कुमार, डॉ॰ अंजली मित्तल, डॉ॰ अंजू डॉ॰ प्रवीण कटारिया, प्रो.जे॰एस॰ भारद्वाज  एवं  अधिकारी, शिक्षक, एवं संबद्ध महाविद्यालय के प्राचार्य शिक्षक, छात्र छात्राओं ने प्रतिभागिता की।

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