घर-घर जाकर टीबी मरीजों को खोजने में जुटीं स्वास्थ्य विभाग की टीम
बुलंदशहर। जनपद में संचारी रोग नियंत्रण अभियान के अंतर्गत दस्तक पखवाड़ा मनाया जा रहा है। जिले में यह पखवाड़ा 25 जुलाई तक चलेगा। इसके तहत आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को रोगों से बचाव के प्रति जागरूक कर रही हैं। इसके साथ ही लक्षण के आधार पर कोविड, बुखार और टीबी (क्षय रोग) के मरीजों का ढूंढने का काम किया जा रहा है, ताकि समय रहते उनका उपचार शुरू कराया जा सके। पखवाड़े में 43 मरीज ऐसे मिले जिनमें टीबी की पुष्टि हुई है। इन सभी मरीजों का इलाज शुरू कर दिया गया है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सीपीएस गौतम ने बताया दस्तक पखवाड़ा के तहत आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर संचारी रोगों के प्रति सतर्क कर रही हैं साथ ही टीबी के मरीजों की खोज कर रही हैं। वह घर-घर जाकर लक्षण के आधार पर टीबी मरीजों की खोज कर रही हैं। संभावित टीबी रोगियों की खोज करने के लिए वह पता कर रहीं हैं कि किसी को दो सप्ताह से अधिक खाँसी या बुखार तो नहीं है। इसके अलावा लगातार वजन घटने और भूख न लगने की शिकायत तो नहीं है। रात में सोते समय पसीना तो नहीं आता है। यदि किसी को इनमें से कोई लक्षण है तो यह टीबी हो सकती है। ऐसे लोगों का स्पुटम (बलगम) लेकर जांच कराई जा रही है। टीबी की पुष्टि होने पर तत्काल बीमारी का निशुल्क उपचार शुरू कराया जा रहा है।
डा. गौतम ने बताया दस्तक पखवाड़ा के तहत रविवार शाम तक कुल 265 मरीजों के सैम्पल की जांच की गई, जिसमें 43 मरीजों में टीबी होने की पुष्टि हुई है। सभी मरीजों का इलाज शुरू कर दिया गया है। इसके साथ ही आशा कार्यकर्ता को टीबी रोगी खोजने पर 500 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दिये जाएंगे। यह राशि जांच के बाद रोग की पुष्टि होने पर मिलेंगे। इसके अलावा टीबी की बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को भारत सरकार द्वारा छह माह तक चलने वाले इलाज के दौरान निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपए प्रति माह का भुगतान किया जाता है। सरकार यह राशि मरीज के बेहतर पोषण के लिए प्रदान करती है। मरीजों को मिले वाला लाभ सीधे मरीज के बैंक खाते में भेजा जाएगा। दरअसल टीबी होने पर व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर हो जाती है। ऐसे में बेहतर पोषण जरूरी है। पोषण न मिल पाने पर वह अन्य बीमारियों की चपेट में भी आ सकता है।
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