अंकुश लगाने के लिये जिलाधिकारियों को भेजा पत्र

 

मेरठ। कोविड-19 के दौरान अनाथ हुए बच्चों के नाम बाल स्वराज पोटüल पर अपलोड होने के बाद उसे मीडिया के जरिए सावüजनिक किये जाने पर राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने गंभीरता से लिया है । राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के चेयरमैन डॉ विशेष गुप्ता ने इस संबंध में समस्त जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर इस पर तत्काल रोक लगाने के साथ ही संबंधित परिवारों की काउंसलिंग करने व इससे संबंधित रिपोटü एक सप्ताह के अंदर बाल आयोग को प्रेषित करने के लिए कहा है ।
जिलाधिकारियों  को भेजे गए पत्र में डॉ विशेष गुप्ता ने कहा है कि आयोग के संज्ञान में आया है कि बाल स्वराज पोटüल पर डाटा अपलोड होने के पश्चात इलेक्ट्रानिक मीडिया- प्रेस मीडिया व अन्य समूहों के द्वारा कोविड.19 के दौरान प्रभावित अनाथ हुए बच्चों की पहचान एकत्र कर अपने-अपने पोटüल पर अपलोड व व्हाट्सएप गु्रप में सावüजनिक किया जा रहा है।
इस प्रकार से पहचान सावüजनिक होने से अनाथ हुए बच्चों को उपेक्षित करने के साथ-साथ जेजे एक्ट का उल्लंघन किया जा रहा है। असामाजिक लोगों, बाल तस्करी करने वाले समूहों, भिक्षावृत्ति समूहों व अपराधी प्रवृत्ति के लोगों के द्वारा कभी भी ऐसे बच्चों का उपयोग समाज में गलत तरीके से किया जा सकता है। बाल आयोग इसे गंभीर मामला मानता  है।जनपदों में गठित जिला टास्क फोसü, जिला प्रोबेशन अधिकारी, जिला बाल संरक्षण अधिकारी, एसजेपी बाल कल्याण समिति, ग्राम बाल संरक्षण समिति, निगरानी समिति के द्वारा अनाथ व एकल बच्चों की सूचना जो इलेक्ट्रानिक मीडिया- प्रेस मीडिया व अन्य समूहों ने अपने तरीके से सावüजनिक की है, उसको एकत्र करायें। तत्पश्चात ऐसे परिवारों की स्थलीय जांच कर उनकी काउंसलिंग व सामाजिक रिपोटü एकत्र कराते हुए आयोग को एक सप्ताह में उपलब्ध कराएं । इसके साथ ही जिला प्रोबेशन अधिकारी, पुलिस विभाग, बाल कल्याण समिति, को अपने स्तर से इलेक्ट्रानिक मीडिया-प्रेस मीडिया के साथ एक उम्मुखीकरण कायüक्रम आयोजित करने हेतु निदेüशित करें। जिससे अनाथ हुए बच्चों की पहचान को सावüजनिक करने व जेजेएक्ट के उल्लंघन से रोका जा सके ।

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