प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ही मुद्दे पर दोबारा दाखिल याचिका न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग करार देते हुए 25 हजार हर्जाने के साथ खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि अधिगृहीत जमीन का कब्जा लेकर वर्षों पहले ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को सौंपा जा चुका है। ऐसे में जमीन की वापसी नहीं की जा सकती। यह आदेश तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय यादव तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने दादरी, सदरपुर की तेजल उप्पल की याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि अधिगृहीत जमीन आबादी की है । उस पर स्कूल बना था। जिसे ध्वस्त कर दिया गया और जमीन का उपयोग नहीं किया गया है इसलिए वापस की जाय। अदालत का कहना था कि सरकार ने यह कहा है कि जमीन पर कोई निर्माण नहीं है। इस तथ्य को चुनौती नहीं दी गई। और याची की मांग अस्वीकार करने के राज्य सरकार के आदेश की चुनौती याचिका वापस ले ली गई थी। दोबारा याचिका दाखिल करने की छूट भी नहीं ली गई तो उसी मुद्दे पर फिर याचिका न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग है। कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया।
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