मेरठ। सुभारती विश्वविद्यालय की तथागत बुद्ध चेयर व महर्षि अरबिंदो सुभारती कॉलिज ऑफ नेचुरोपैथी एंड योगिक साइंस एवं विश्व बौद्ध महासंघ थाईलैंड ने संयुक्त रूप से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष में अंतर्राष्ट्रीय योग फोरम का ऑनलाइन आयोजन किया। कार्यक्रम के आरम्भ में बौद्ध विद्वान डा. चन्द्रकीर्ति ने मंगलाचरण वंदना प्रस्तुत की।
फोरम का उद्घाटन थाइलैंड से विश्व बौद्ध महासंघ के अध्यक्ष डा. पौन चाय पिनया पौ ने किया। उन्होंने कहा कि विश्व के लिये यह बड़े सौभाग्य की बात है कि सुभारती विश्वविद्यालय द्वारा तथागत बुद्ध की शिक्षाओं को आत्मसात करते हुए योग के महत्व को मानव कल्याण की दिशा में प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि करुणा, प्रेम और दया बौद्ध धर्म और योग की मूल शिक्षाएं
हैं। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म और योग का उद्देश्य ज्ञानोदय है और इसी मार्ग द्वारा दुख से मुक्ति संभव है। उन्होंने सुभारती विश्वविद्यालय की तथागत बुद्ध चेयर व योग कॉलेज के सहयोग से विश्व बौद्ध महासंघ द्वारा योग का प्रचार प्रसार हेतु कार्यक्रम की सफलता पर सभी को शुभकामनाएं दी।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल सुभारती अस्पताल के चिकित्सा उपाधीक्षक डा. कृष्णा मूर्ति ने कहा कि यह बड़े गर्व की बात है कि विश्व ने भारतीय संस्कृति के वरदान योग का महत्व समझते हुए इसे अपनाया है। उन्होंने कहा कि योग के माध्यम से मानसिक एकाग्रता आती है और योग से ही विभिन्न प्रकार की बीमारियों को रोकथाम करके स्वस्थ जीवन व्यतीत किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय के खान पान एवं रोज़मर्रा की व्यस्तम ज़िदगी से मानव शरीर पर गलत प्रभाव पड़ रहा है जिसके कारण विभिन्न प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो रही है लेकिन योग एक ऐसी विधि है जिसके नियमित करने से शरीर रोग मुक्त हो जाता है।
सुभारती नेचुरोपैथी कॉलिज के प्राचार्य डा. अभय शंकरगौड़ा ने कहा कि योग आत्मा से परमात्मा के मिलन होने के साथ योग भारत की संस्कृति का सबसे महत्वपूर्ण भाग है और हमारी संस्कृति का पूरे विश्व में डंका बज रहा है। उन्होंने कहा कि योग स्वास्थ्य लाभ पाने की ऐसी कुंजी है जो हमारे बीमार शरीर को रोग मुक्त करती है और योग करने से शरीर स्वस्थ रहता है एवं स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है जिससे मनुष्य अपने जीवन के उद्देश्य की पूर्ति करता है। उन्होंने कहा कि उक्त सभी उद्देश्य की पूर्ति हेतु सुभारती विश्वविद्यालय के नेचुरोपैथी कॉलिज द्वारा योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के सम्बन्ध में विभिन्न कोर्स संचालित किये जा रहे है एवं शिक्षकों, विद्यार्थियों सहित समाज के प्रत्येक व्यक्ति को योग से जोड़कर लाभान्वित किया जा रहा है।
कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापित सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज के सलाहकार डा. हिरो हितो ने किया। उन्होंने कहा कि आज के आधुनिक समय में योग ने यह साबित कर दिया है कि भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति एवं प्राकृतिक चिकित्सा से ही पूरे विश्व का कल्याण संभव है। उन्होंने कहा कि सुभारती विश्वविद्यालय पहले से ही हेल्थ प्रमोटिंग के विभिन्न कार्यक्रम संचालित कर रहा जिसमें विशेष रूप से तथागत की शिक्षाआें के अनुपालन में योग को महत्व दिया जा रहा है। 
कार्यक्रम का संचालन थाइलैंड से डा. सुचादा ने किया। कार्यक्रम में 22 देशों के 500 से अधिक योग विशेषज्ञ, शिक्षाविद आदि लोगो ने भाग लिया।

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