शिवचरण चौहान

भारतीय तुलसी और गिलोय ( गुरिछ) पर विदेशी फार्मेसी कंपनियों के निगाहें गड़ी हुई हैं। कोरोना काल में गिलोय के काढ़ा और तुलसी की पत्तियों की चाय ने लाखों लोगों को काल के मुंह में जाने से बचाया है। बाबा रामदेव ने गिलोय और तुलसी आदि जड़ी बूटियों को मिलाकर कोरोनिल बनाई और वह काफी लोकप्रिय हुई तो फार्मेसी कंपनियों की निगाहों में यह दोनों जड़ी बूटियां आ गईं। भारतीय आयुर्वेद में तुलसी गिलोय नीम, काली मिर्च अदरक आदि की अनेक औषधीय प्रयोग भारत के गांव में अपनाए जाते रहे हैं।



बैद्यनाथ, भूतनाथ आदि अनेक आयुर्वेद दवा निर्माता कंपनियों ने इन सब पर दवाई बनाकर बाजार में उतारी है।  होम्योपैथ में भी तुलसी और गिलोय की दवाएं आती हैं। अब फार्मेसी कंपनियां भी इन पर दांव लगाने जा रही है। तुलसी गिलोय और नीम पर पेटेंट कराने के प्रयास तो बहुत पहले से शुरू हो गए थे किंतु भारत सरकार ने विदेशी फार्मेसी कंपनियों को अनुमति नहीं दी। अब कौड़ियों की जड़ी बूटियों से दवाई बनाकर फार्मेसी कंपनियां करोड़ों में बेंचेंगी।
तुलसी में विद्यमान औषधीय गुण के कारण विभिन्न प्रकार की दवाइयां बनाने में उपयोग किया जाता रहा है, परन्तु अब बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने उत्पादों के निमार्ण में उपयोग करने के कारण इसकी मांग काफी बढ़ गयी है। ऐसे में थोड़ा सा धन लगाकर इसकी खेती से काफी धन अर्जित किया जा सकता है।  कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार  प्रत्येक तुलसी में पाये जाने वाले अवयव एवं रासायनिक तत्व अलग-अलग प्रकृति के होते हैं। इसलिए उनका उपयोग भिन्न-भिन्न उत्पादों के निर्माण में होता है। आज तुलसी का उपयोग बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने उत्पादों में किया जा रहा है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने यहां तुलसी का उपयोग टूथ पेस्ट, माउथवाश तथा डेंटल क्रीम आदि उत्पादों के निर्माण में कर रही हैं। यहां तक कि तुलसी के तेल को खाद्य पदार्थों को सुवासित करने में भी प्रयुक्त किया जाता है। तुलसी का औषधियों के निर्माण में अत्याधिक उपयोग होने के कारण प्राकृतिक रूप से उतनी उपलब्ध नहीं हो पाती जितनी मात्रा में औषधि निर्माता कंपनियों की आवश्यकता है।  
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार  तुलसी की विभिन्न किस्मों में से श्यामा तुलसी किस्म की विशेषता अर्थववेद में बतायी गयी है कि यह मानव के स्वरूप को बनाती है। इसमें वह गुण निहित होता है, जो शरीर के ऊपर के सफेद दाग तथा अन्य प्रकार के त्वचा संबंधी रोगों को नष्ट करने वाली अत्युत्तम औषधि है। उन्होंने बताया कि सिर का भारीपन होना, माथे का दर्द, खांसी,श्वास, मलेरिया, संक्रामक रोग और  मिरगी जैसे रोग तुलसी से ठीक किये जा सकते हैं। श्वेत तथा कृष्ण तुलसी का उपयोग स्वरस उष्ण कफ निस्सारक, शीतलहर, स्वेदजनर, दीपन, दुर्गंध नाशक औषधि बनाने में किया जाता है।तुलसी की जड़ विषम ज्वर यानी बुखार को शांत करती है इसका बीज वीर्य को गाढ़ा बनाता है तथा शांतिदायक होता है। सूखा पौधा चूर्ण रूप में लिये जाने पर यकृतोत्तेजक पाचक रस बढ़ाने का अद्वितीय गुण रखता है।इसी प्रकार तुलसी का उपयोग दाद, कफ,वात विकारों  और वृणों यानी फोड़ा शोथ, संधि पीड़ा यानी जोड़ों का दर्द, खांसी, दमा, रीढ़ में जकडन जैसी बीमारियों को दूर करने वाली दवाओं को बनाने में उपयोग किया जाता है।
गिलोय बहुत कड़वी होती है। गिलोय की लता नीम अथवा बबूल में ज्यादातर चढ़ती है। इन दोनों पेड़ों में पाई जाने वाली गिलोय बहुत उपयोगी होती है। कैसा भी बुखार हो खांसी जुखाम हो संक्रामक रोग गिलोय की पत्तियों अथवा डंठल का काढ़ा बहुत फायदा पहुंचाता है। सदियों से हमारे गांव के लोग गिलोय का उपयोग चाय मैं करते आ रहे हैं। आयुर्वेद में गिलोय के अनेक गुण बताए गए हैं।
बहुराष्ट्रीय कंपनियां,फार्मेसी कंपनियां अब गिलोय से उसका सत निकाल कर दवाइयां बनाएंगे और बाजार में बेचेंगी, जो गिलोय मुफ्त में गांव घर में मिल जाती है वही अब पैसे देकर फार्मेसी कंपनियों से खरीदी जाएगी। रामदेव की पतंजलि कंपनी ने गिलोय घनवटी नाम से एक दवा निकाली है, जो तेज बुखार, संक्रामक रोगों के नियंत्रण में तथा शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि करती है। सुदर्शन नाम का एक पौधा गांव घर, जंगलों में पाया जाता है। बैद्यनाथ ने महासुदर्शन चूर्ण बाजार में बहुत पहले उतारा था जो खाली पेट खाने पर किसी भी तरह का बुखार मियादी बुखार ठीक कर देता है। रामदेव के पतंजलि ने सुदर्शन बटी नाम से दवा बाजार में उतारी है जो महंगे दामों पर मिलती है।
 सदियों से गांव घर की बड़ी ,बूढ़ी महिलाएं, पुरुष और ग्रामीण वैद्य इन जड़ी बूटियों का प्रयोग बीमारियों के भगाने में करते रहें हैं। इनके कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। अब बहुराष्ट्रीय फार्मेसी कंपनियां भारतीय जड़ी बूटियों पर शोध कर इन्हें अपनाने जा रही हैं। और मुफ्त में अथवा कौड़ियों के भाव मिलने वाली है दवाएं मेडिकल स्टोर में महंगी  दरों पर मिलेंगी।
                              (लेखक स्वतंत्र विचारक और वरिष्ठ पत्रकार हैं)

No comments:

Post a Comment

Popular Posts