सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार

नई दिल्ली,। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र की टीकाकरण नीति की आलोचना करते हुए कहा है कि 18 से 44 साल के आयु वर्ग को मुफ्त टीका न देने का उसका निर्णय प्रथम दृष्ट्या ‘मनमाना और तर्कहीन’ है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश किया है कि वो कोरोना टीकाकरण की नीति पर सभी दस्तावेज प्रस्तुत करे। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वो कोरोना से जुड़े सभी टीकों की खरीद का ब्योरा दे और पूरा आंकड़ा पेश करे। मामले की अगली सुनवाई 30 जून को होगी।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अवकाशकालीन खंडपीठ ने अपनी हालिया टिप्पणी में कहा है कि 45 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों को मुफ्त टीकाकरण और उससे नीचे की उम्र के लोगों के लिए भुगतान प्रणाली देने की केंद्र की नीति 'प्रथम दृष्टया मनमानी और तर्कहीन' है।
खंडपीठ ने ग्रामीण लोगों के लिए वैक्सीन की कमी के संदर्भ में कई अन्य खामियों को चिह्नित करते हुए केंद्र से अपनी टीकाकरण नीति की समीक्षा करने और 31 दिसंबर 2021 तक टीकों की अनुमानित उपलब्धता का खाका पेश करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि कितने प्रतिशत लोगों को टीका लग चुका है। कोर्ट ने राज्य सरकारों से यह बताने को कहा कि क्या वह मुफ्त टीका लगा रहे हैं। कोर्ट ने ब्लैक फंगस के इलाज पर भी जानकारी देने का निर्देश दिया। पिछले 31 मई को कोर्ट ने केंद्र की वैक्सीनेशन नीति पर सवाल उठाते हुए कहा था कि 45 साल से ज्यादा उम्र वालों के लिए केंद्र, राज्यों को वैक्सीन उपलब्ध करा रहा है। फिर 18 से 45 साल वालों के वैक्सीन हासिल करने का जिम्मा राज्यों पर क्यों छोड़ दिया ?, कोर्ट ने केंद्र सरकार को वैक्सीनेशन नीति पर दो हफ्ते में जवाब देने का निर्देश दिया था।

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