मदद करते हुए हो गये पॉजिटिव, नहीं डरे, जीत गये जंग  

मेरठ मंडल के मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के को-ऑर्डिनेटर डॉ मेघराज व उनकी पत्नी ने दी कोविड को मात
81 वर्षीय महिला ने कोरोना के साथ साइटोकाईन स्टॉर्म को भी दी मात


 

मेरठ, 15 मई 2021। कोरोना वायरस आपको हर तरह से कमजोर करने की कोशिश करेगा, सबसे पहले शरीर की क्षमता को कम कर देगा, उसके बाद भावनात्कम रूप से भी कमजोर करेगा, लेकिन इसके जाल में फंसना नहीं है, धैर्य और हौसला बनाए रखना है और नियमों का सही से पालन करना है। वायरस ख़ुद ही हार जाएगा। यह कहना है मेरठ मंडल में मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना कॉर्डिनेटर डॉ मेघराज सिंह का।
 कोरोना को मात देकर काम पर लौटे डॉ मेघराज का कहना है कि मुश्किल तब होती है, जब इस बीमारी के कारण लोग हारने लगते हैं। सबसे ज्यादा इसका असर मनोविज्ञानिक रूप से कमजोर बनाता है। पर ध्यान रखने वाली बात यही है कि इससे बिना डरे लड़कर ही जीत हासिल की जा सकती है। मदद के दौरान हुए शिकार डॉ मेघराज बताते हैं कि उनकी जान पहचान में कोई पॉजिटिव हो गया था। वह उन्हें दवा आदि मुहैया करवा रहे थे, इसी बीच वह भी पॉजिटिव हो गये। 19 अप्रैल को उनका टेस्ट हुआ, जिसमें वह पॉजिटिव आए थे। 21 अप्रैल को उनकी पत्नी डॉ पारुल चौधरी भी पॉजिटिव हो गईं।
 बदली जीवनशैली
डा. मेघराज बताते हैं कि वायरस से बचाव के लिए उन्होंने जीवनशैली में थोड़ा बदलाव किया। बीमारी के दौरान सुबह योग और व्यायाम के साथ प्राणायाम करते रहे। खाने में भी बदलाव किया। प्रोटीन डाइट पर ज्यादा ध्यान दिया। काढ़ा भाप और गर्म पानी का साथ बिल्कुल नहीं छोड़ा। दिन में तीन से पांच बार भाप लेते थे। दवा तो समय से लेना पहली शर्त थी।
बेटे की सुरक्षा बनी चुनौती
डॉ. मेघराज बताते हैं कि पत्नी के पॉजिटिव होने के बाद चिंताएं बढ़ऩी शुरू हो गई थीं। दोनों आइसोलेट हो चुके थे। घर में सिर्फ नौ साल का बेटा था, उसे सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती थी। तीनों अलग-अलग कमरे में रहते थे। बेटे को समझाया और कमरे में ही रहने की हिदायत दी।
डबल मास्क और दस्ताने का प्रयोग
वह बताते हैं कि शुरुआती लक्षण के दौरान ही उपचार शुरू कर दिया था। बचाव के सभी नियमों का भी सही तरीके से पालन किया। इसके चलते वह जल्द ही वायरस को मात देने में कामयाब रहे। हालांकि उनकी पत्नी लगभग 20 दिन वायरस से जूझती रहीं। दोनों ने घर में भी डबल मास्क और दस्तानों का प्रयोग किया।

  81 वर्षीय सुमन जैन ने कोरोना के साथ साइटोंकाईन स्टॉर्म को भी दी मात
 ऐसी ही कहानी 81 वर्षीय सुमन जैन की है। जो कोरोना पॉजिटिव हो गई। डा आयुष जैन चेस्ट स्पेशिलिस्ट एवं पुत्र ने घर पर उपचार आरंभ किया। शुरू में तो सुधार हुआ पर अचानक छह मई को साइटोंकाईन स्टॉर्म का अटैक पड गया। उनका ऑक्सीजन लेवल 56 जा पहुंचा। इस अवस्था में भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, उनके परिजनों ने तुंरत एक अस्पताल में भर्ती कराया। वहां पर डा विश्वजीत वैम्बी व डा संदीप गर्ग व वहां के स्टॉफ के प्रयासों से वह गत 14 मई को अपने घर सकुशल वापस आ गयीं। 81 वर्षीय सुमन जैन पहले से मधुमेह से ग्रसित हैं, ने अपने हौसले से कोरोना के साथ-साथ गंभीर साइटोंकाईन को भी मात दी।
क्या है साइटोकाईन स्टॉर्म
साइटोकाईन स्टॉर्म मानव शरीर को विभिन्ना तरह के संक्रमण से बचाने और उनसे लड़ने में मदद करते हैं, लेकिन जब वायरस शरीर पर अटैक करता है तो शरीर में आवश्यकता से ज्यादा मात्रा में साइटोकाईन बनने लगते हैं। ऐसी अवस्थार में यह अनियंत्रित होकर बढ़ने लगते हैं। ऐसी स्थिति में साइटोकाईन कोशिकाओं पर ही हमला करने लगते हैं, जिससे शरीर पर प्रतिकूल असर पड़ता है। इसके साथ ही शरीर के कई अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं।

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