बीजिंग। तिब्बती धर्म गुरू दलाई लामा के उत्तराधिकारी को चीन की अनुमति के बिना मान्यता प्रदान नहीं की जाएगी। यह दावा चीन सरकार की तरफ से जारी एक आधिकारिक प्रपत्र में किया गया है। चीन ने कहा है कि दलाई लामा का अगला उत्तराधिकारी  उसकी मर्जी से ही चुना जाएगा।
चीन ने कहा है कि दलाई लामा खुद अपना उत्तराधिकारी चुनते हैं अथवा उनके अनुयायी किसी को उत्तराधिकारी के तौर पर नामित करते हैं, तो वह उसको मान्यता नहीं देगा। 
चीन सरकार के आधिकारिक श्वेत पत्र में कहा गया है कि दलाई लामा एवं अन्य जीवित बुद्ध विभूतियों के पुनर्जन्म के अनुमोदन को किंग राजवंश (1644-1911) के समय से ही सरकार स्वीकृति देती आई है। शी चिनफिंग सरकार के अनुसार यह मामला किंग राजवंश के बाद सरकार के अधीन है। चीन ने श्‍वेत पत्र में कहा कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी जो जीवित बुद्ध विभूति होंगे, उनके निर्वाचन में स्‍वर्ण कलश से पर्ची निकालने की प्रक्रिया का पालन करना पड़ेगा या उसको चीन की सरकार से मंजूरी दी जाएगी।

मालूम हो कि 14वें दलाई लामा ने सन् 1959 में तिब्बत पर चीन के आक्रमण के बाद से भारत की शरण ली है।  तभी से हिमाचल के धर्मशाला में निर्वासित तिब्बती सरकार भी है। दलाई लामा अब 85 वर्ष के हो चुके हैं। दलाई लामा की बढ़ती उम्र के कारण अब उनके उत्तराधिकारी का मसला उठने लगा है। पिछले कुछ वर्षों में यह मसला सुर्खियों में आया था, जब अमेरिका ने साफ कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी के संबंध में फैसला करने का अधिकार केवल दलाई लामा और तिब्बत के नागरिकों के पास होना चाहिए।

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