छलका शहीद के पिता का गम


बागपत। पुसार गांव के श्मशान घाट में उस वक्त हजारों आंखें नम हो गई, जब शहीद पायलट अभिनव चौधरी के पिता सतेंद्र चौधरी ने बिलखते हुए भाकियू प्रवक्ता चौ. राकेश टिकैत से कहा कि क्या पता था कि यह दिन देखना पड़ेगा। वरना मुझे आना था बेटे के कंधों पर, लेकिन अब मुझे ही बेटे को कंधों पर लाना पड़ा। एयर फोर्स के जवानों ने श्मशान घाट पर सेना के ट्रक से तिरंगे में लिपटे शहीद पायलट अभिनव चौधरी के पार्थिव शरीर का ताबूत उतारकर सैन्य सम्मान देने की तैयारी करने लगे। इसी दौरान सतेंद्र चौधरी बिलख पड़े। भाकियू के प्रवक्ता चौ. राकेश टिकैत तथा कुलदीप उज्ज्वल उन्हें चार कदम दूर बेंच पर बैठाकर सांत्वना देने लगे।


हमारा तो सबकुछ ही खत्‍म

सतेन्द्र चौधरी बोले कि बेटे की पढ़ाई की खातिर पुसार गांव छोड़कर मेरठ रहने लगा। बेटे अभिनव ने भी पढ़ाई और पायलट तक का सफर तय कर सौ फीसदी दिया, लेकिन क्या पता था कि इतनी जल्दी हमें छोड़कर दुनिया से चले जाएगा। सतेंद्र बेटे के ताबूत को टकटकी लगाकर निहारने लगे। फिर बिलखते हुए बोले हमारा तो सबकुछ खत्म हो गया है। इससे ज्यादा और कष्ट की बात क्या होगी कि जिस बेटे के कंधों पर मुझे आना था, लेकिन उस बेटे की अर्थी को मुझे कंधों पर लाना पड़ा। भाकियू के नेता राकेश टिकैत ने सांत्वना देते हुए कहने लगे कि हिम्मत मत हारो सतेंद्र जी।...गम पहाड़ से बड़ा है, लेकिन हिम्मत से काम लो।

अर्थी को पुष्प अर्पित कर रोए
श्मशान घाट में शहीद पायलट अभिनव चौधरी के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित करते वक्त सतेंद्र चौधरी अर्थी पर माथ टेककर रोने लगे।


तिरंगे में पिता को सौंपी कैप

गार्ड आनर देने के बाद एयर फोर्स के जवानों ने पार्थिव शरीर के ताबूत से सम्मान के साथ तिरंगा झंडा उतारकर पिता को शहीद अभिनव की कैप सौंपी तो सतेंद्र चौधरी ने सिर झुकाकर काफी देर तक उन्हें माथे से लगाए रखा।

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