मेरठ। मेरठ का सूरज कुंड श्मशान घाट इस दूसरी महामारी का गवाह रहेगा। पिछले दो महीने में कोरोना संक्रमितों के इतने शव जलाए गए कि शमशान घाट में जगह कम पड़ गई। श्मशान घाट में लाशों की हालत यह थी कि उनको जलाने के लिए कम से कम 12 घंटे की वेटिंग रही। लेकिन अब पिछले 60 दिनों में पहली बार एक ऐसा दिन आया जबकि श्मशानघाट पर एक भी कोरोना संक्रमित शव नहीं पहुंचा। यह राहत की बात है। पिछले दो महीने में सूरजकुंड श्मशानघाट पर चिता लगाने की जगह कम पड़ गई थी। वह बुरा वक्त अब गुजर चुका है। करीब दो माह बाद बीता रविवार के 24 घंटे में पहला ऐसा दिन ऐसा रहा। जब एक भी कोरोना संक्रमित शव सूरजकुंड अंतिम संस्कार के लिए नहीं आया। गंगा मोटर कमेटी के पदाधिकारियों के अनुसार रविवार को कुल पांच शव अंतिम संस्कार के लिए पहुंचे। से सभी शव नान कोविड थे। 
पांचों शवों का अंतिम संस्कार परंपरानुसार कराया गया। पदाधिकारियों के अनुसार श्मशानघाट पर 25 अप्रैल से सात मई के बीच सबसे अधिक कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार कराया गया। सात मई के बाद से कोरोना संक्रमित शवों का ग्राफ नीचे आना शुरू हुआ था। जो 25 मई से निरंतर कोरोना संक्रमित एक या दो शव तक आ गया था। रविवार को यह स्थिति शून्य हो गई। हालांकि कमेटी का कहना है कि कर्मचारी पीपीई किट में ही रहेंगे। प्रोटोकाल का पालन करते हुए ही शवों का अंतिम संस्कार अभी कराया जाएगा।
बाले मियां नौ शव दफनाए गए
उधर नौचंदी स्थित हजरत बाले मियां कब्रिस्तान में कुल नौ शव दफनाए गए। जिसमें से एक भी शव कोरोना संक्रमित नहीं रहा। यह जानकारी कब्रिस्तान के प्रबंधक मुफ्ती मोहम्मद अशरफ ने दी है।

No comments:

Post a Comment

Popular Posts