खेत का काम भी जरूरी है और आंदोलन भी
गाजियाबाद, 09 फरवरी। नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन में किसानों ने आंदोलन स्थल पर रहने और अपने खेत में जाकर काम करने का टाइम टेबल बना लिया है। यह टाइम टेबल बुजुर्गों पर लागू नहीं होता। इसलिए आंदोलन स्थल पर बुजुर्ग की संख्या बराबर बनी हुई है और युवा किसानों की संख्या घटती-बढती रहती है। आसपास के जिलों के युवा किसान जल्दी-जल्दी अपने खेत में और धरना स्थल पर चक्कर मारते रहते हैं जबकि दूर जिलों से आने वाले किसान हफ्ते-दस दिन का रूटीन बनाकर चलते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने का सीजन है, इसलिए खेतीबाड़ी का काम थोड़ा ज्यादा है। बता दें कि मंगलवार को राकेश टिकैत हरियाणा के कुरूक्षेत्र में आयोजित महापंचायत को संबोधित करने गए हुए थे। उनकी गैर मौजूदगी में गौरव टिकैत, दिंगबर सिंह और जगतार सिंह बाजवा ने गाजीपुर बार्डर पर कमान संभाली हुई थी।

भारतीय किसान यूनियन (यूथ) के अध्यक्ष गौरव टिकैत का कहना है कि आंदोलन के चलते खेत का काम प्रभावित न हो, इसलिए युवा किसान टाइम टेबल के हिसाब से आंदोलन स्थल पर आते और जाते रहते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने का सीजन चल रहा है। बेशक सरकार ने अभी तक गन्ने का रेट घोषित नहीं किया लेकिन खेत में खड़ा गन्ना तो किसानों को मिलों तक पहुंचाना ही है। इसलिए युवा किसान बारी-बारी से अपने गांव-गांव जाते-आते रहते हैं। किसान यहां 10-15 दिनों की योजना बनाकर आते हैं और वापस घरों को चले जाते है। इसके बाद गांवों से दूसरे किसान आंदोलन में पहुंच जाते हैं। उनका कहना है कि सरकार की बातों से नहीं लगता कि यह आंदोलन जल्दी खत्म होने वाला है इसलिए किसानों ने लंबे समय तक आंदोलन चलाने के लिए टाइम टेबल बनाकर आंदोलन में शामिल होने की व्यवस्था बना ली है। किसान अपने खेत में भी काम करेंगे और आंदोलन पर भी नजर रखेंगे।
उत्तराखंड के तराई क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले जगतार सिंह बाजवा गाजीपुर बार्डर आंदोलन समिति के सदस्य हैं। श्री बाजवा का कहना है कि किसानों को कहा गया है कि वे अपने खेतों में काम करते हुए आंदोलन पर नजर रखें। एक आव्हान पर हजारों किसान गाजीपुर बार्डर पर पहुंच जाएंगे। उनका कहना है कि आंदोलन कब तक चलेगा, इसका कुछ पता नहीं है, इसलिए खेतीबाड़ी के काम निपटाते रहना भी जरूरी है। आंदोलन स्थल पर यदि जरूरत पड़ेगी तो किसान अपना काम छोड़कर भी यहां पहुंचेगा। आंदोलन लंबा चलाना है तो यह व्यवस्थित होना जरूरी है। उनका कहना था कि बुधवार से आंदोलन स्थल पर यूपी और उत्तराखंड के तराई क्षेत्रों के किसानों की संख्या बढ़ेगी।
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किसान अपने-अपने क्षेत्र में पंचायत कराने में लगे
आंदोलन का रूख बदलने के बाद से दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहने के अलावा किसान नेता यूपी और हरियाणा में लगातार महापंचायतें कर रहे हैं।मंगलवार को राकेश टिकैत एक बार फिर हरियाणा में पंचायत करने पहुंचे। आए दिन किसान गाजीपुर बार्डर पहुंचकर अपने क्षेत्र में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत और राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की पंचायत के लिए कार्यक्रम लेने में जुटे हैं। 16 फरवरी तक पंचायतों का कार्यक्रम तय हो चुका है। किसान नेताओं के लिए रोजाना पंचायतों में जाना संभव भी नहीं है, क्योंकि आंदोलन स्थलों पर भी उनका रहना जरूरी है। ऐसे में राकेश टिकैत कम से कम एक दिन बीच में छोड़कर ही पंचायत का कार्यक्रम दे रहे हैं। अब 12 फरवरी को नरेश टिकैत बिलारी में किसान पंचायत को संबोधित करेंगे तो उसके बाद 16 फरवरी को बारांबंकी में किसान पंचायत का समय नियत कर दिया गया है। मंगलवार को राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के अलावा यूपी के बस्ती और चित्रकूट जनपद समेतअन्य जगहों से भी लोग आंदोलन स्थल पर पहुंचे और पंचायत के लिए समय लेने का प्रयास किया।
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13 फरवरी को पहुंचेगा किसानों का जत्था
गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में दुर्घटना में मौत हुई किसान नवरीत सिंह की याद में रामपुर से किसान जत्था लेकर आंदोलन स्थल पर पहुंचेंगे। यह जानकारी जगतार सिंह बाजवा ने दी। उन्होंने बताया कि काफी संख्या में किसान आंदोलन स्थल पर आएंगे। गाजीपुर बार्डर आंदोलन समिति पूरी तरह से दिवंगत नवरीत सिंह के परिवार के साथ है।
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गाजीपुर आंदोलन कमेटी को किया सम्मानित
न्यूजीलैंड से आए एनआरआई कुलजीत सिंह ने मंगलवार को यूपी गेट (गाजीपुर बॉर्डर) आंदोलन स्थल पर पहुंचकर आंदोलन समिति के सदस्यों को सम्मानित किया। कुलजीत सिंह अपने परिवार के साथ मंच पर पहुंचे और कमेटी के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा, ओमपाल मलिक और तजिंदर सिंह विर्क समेत कमेटी अन्य सदस्यों को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया। उन्होंने समिति के सदस्यों का मनोबल बढाया और शांतिपूर्वक आंदोलन जारी रखने की अपील की।
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राजनीतिक पार्टियों के नेता भी पहुंचे
मंगलवार को भी नेताओं का आंदोलन स्थल पर पहुंचने का सिलसिला मंगलवार को भी जारी रहा। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के नेता आंदोलन स्थल पर पहुंचे। दिल्ली के मोतीनगर विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के विधायक शिवचरन गोयल और खटीमा से कांग्रेस के पूर्व विधायक गोपाल सिंह राणा ने गाजीपुर बार्डर पर पहुंच कर किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया।
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लगातार मिट्टी और जल लेकर पहुंच रहे लोग
28 जनवरी की शाम प्रशासन की ओर से जब आंदोलन स्थल पर पानी की आपूर्ति रोक दी तो किसान नेता राकेश टिकैत ने मीडिया के माध्यम से अपील की थी कि जब गांव से पानी आएगा, तभी पानी पीयूंगा। राकेश टिकैत के इस आव्हान का इतना असर हुआ कि आसपास के जनपदों से तो चंद घंटों में पानी आंदोलन स्थल पर पहुंचना शुरू हो गया, लेकिन 12 दिनों के बाद लोगों का पानी और मिट्टी लेकर पहुंचने का सिलसिला टूटा नहीं है। हरिद्वार से पवित्र गंगाजल लेकर भी कितने ही लोग आंदोलन स्थल पर पहुंच चुके हैं। सोमवार को इंग्लैंड की टेम्स नदी का जल लेकर रोहित अहलावत गाजीपुर बार्डर पहुंचे तो मध्य प्रदेश के किसान नर्मदा नदी का जल लेकर भी आंदोलन स्थल पर पहुंचे। यूपी और हरियाणा से भी लगातार पानी पहुंचने का सिलसिला जारी है। मंगलवार को पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद से धीरज सिंह नाम का एक किसान अपने खेत की मिट्टी लेकर गाजीपुर बार्डर पहुंचा। धीरज सिंह ने यह मिट्टी मंच पर मौजूद जगतार सिंह बाजवा को सौंपते हुए कहा कि बलिया जनपद के किसान पूरी तरह से आंदोलन के साथ हैं।
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