लखनऊ, 12 फरवरी। उत्तर प्रदेश के ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री पं. श्रीकान्त शर्मा ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया है कि 31 मार्च से पहले गर्मियों को लेकर सभी तैयारियां पूरी हो जायें। उन्होंने अपर मुख्य सचिव ऊर्जा को इसकी सतत निगरानी के निर्देश भी दिए हैं। 
ऊर्जा मंत्री ने अपर मुख्य सचिव से कहा कि वह अपने स्तर से तैयारियों को लेकर डिस्कॉम्स के समर प्लान की समीक्षा कर लें। जनप्रतिनिधियों के प्रस्तावों पर भी कार्रवाई हो जाये, जिससे उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली मिल सके। उन्होंने यह निर्देश गुरुवार को शक्ति भवन में कारपोरेशन की समीक्षा के दौरान दिए। साथ ही सभी अधिकारियों को सुधारों के लिए 100 दिन की कार्ययोजना पर काम करने को भी कहा है। 
मंत्री ने निर्देशित किया कि झटपट पोर्टल को और उपभोक्ता हितैषी बनाने के लिए लोड बढ़ाने-घटाने की सुविधा, स्थान परिवर्तन की सुविधा, नाम परिवर्तन की सुविधा के साथ ही गलत बिलों को ठीक कराने की शिकायत व उसे सुधार की सुविधा भी मिले। इसके लिए पोर्टल में जरूरी तकनीकी सुधारों पर 100 दिन के भीतर काम कर लिया जाए।
उन्होंने कहा कि विद्युत कनेक्शन के सभी लंबित आवेदन तय अवधि में जारी कर दिए जाएं। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही स्वीकार्य नहीं है। कारपोरेशन पर 90 हजार करोड़ का घाटा है। ऐसे में सभी बकायेदार उपभोक्ताओं के दरवाजे हम खटखटाएं और उन्हें भुगतान के लिए प्रेरित करें। डिस्कनेक्शन कोई विकल्प नहीं है। इसका विशेष ध्यान रखें। साथ ही अधिक लाइन हानियों वाले सभी चिह्नित फीडरों की हानियां 31 मार्च तक 15 प्रतिशत से नीचे ले आएं। इसका विशेष ध्यान रखें। इसमें कोई ढिलाई न हो। 
उपभोक्ताओं को सही बिल समय पर मिले, उन्हें बिल का भुगतान करने के लिए बिजली घर न जाना पड़े। उसे उसके गांव या मोहल्ले में ही बिल भुगतान की सुविधा मिले। इसके लिए जन सुविधा केंद्र, स्वयं सहायता समूह, सरकारी राशन की दुकान के माध्यम से बिल जमा करायें। उपभोक्ताओं के मोबाइल पर बिल के एसएमएस में ही भुगतान का लिंक रहेगा। उन्हें एसएमएस में ही पेमेंट गेटवे की सुविधा मिलेगी जिससे वह समय से बिल का भुगतान डिजिटल माध्यम से कर सकेगा। नियमित बिल भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं को प्रोत्साहित करने किया जाए। उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर उनका आभार प्रकट किया जाए। 
मंत्री ने कहा कि उपभोक्ता सेवाओं, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास व राजस्व से जुड़े सभी लक्ष्यों के निर्धारण जूनियर इंजीनियर तक के स्तर तक सुनिश्चित हो। इसके लिए आईटी टूल्स का भी उपयोग हो डैशबोर्ड पर हर जेई को लक्ष्य दिखे। जेई से लेकर चेयरमैन तक की परफॉर्मेंस को एसीआर से जोड़ा जाए। 
जनप्रतिनिधियों के प्रस्तावों पर एमडी स्वयं के स्तर से समीक्षा कर लें। उन पर समय से काम भी हो जाये। यह भी कहा कि केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं में कहीं भी लेटलतीफी न हो। उनके सभी तय लक्ष्यों को समय से पूरा किया जाए, जिससे कारपोरेशन की छवि बेहतर बने।

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