उर्दू और संस्कृत में भी प्रवेश लेने वाले सबसे कम
मेरठ। एकतरफ जहां पूरे देश में हिंदी को आगे बढ़ाने के लिए बातें की जा रही हैं। वहीं, हिंदी के साथ ही संस्कृत और उर्दू में छात्र-छात्राओं की रुचि घट रही है। तीनों ही विषयों में हर साल प्रवेश कम हो रहे हैं।
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय कैंपस और संबद्ध कॉलेजों में स्नातकोत्तर पाठयक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया अंतिम चरण में है। कैंपस में सीबीसीएस कोर्सों में बहुत से विषयों की सीटें भर गई हैं। एमए में अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, इतिहास, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान और राजनीति विज्ञान में सभी 20-20 सीटें भरने वाली हैं लेकिन हिंदी, संस्कृत में सबसे कम विद्याथियों ने प्रवेश लिए हैं।
आंकड़ों के अनुसार कैंपस में हिंदी में 20 सीटों में 9, संस्कृत में 7 और उर्दू में अब तक 15 छात्रों ने प्रवेश लिया है। कैंपस के अलावा मेरठ और सहारनपुर मंडल के कॉलेजों में एमए हिंदी की कुल 2,220 सीटों में से अब तक 731 प्रवेश हुए हैं। इनमें छात्राओं की संख्या 639 जबकि छात्र 92 हैं। संस्कृत की 900 सीटों के मुकाबले 154 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया है। छात्राओं की संख्या 136 और छात्र सिर्फ 18 है। उर्दू की 120 सीटों पर भी 34 प्रवेश हुए हैं। इनमें छात्राओं की संख्या 33 और छात्र महज एक है।
रोजगार के अवसर मिलें तो बढ़े रुचि
अक्सर छात्र-छात्राएं सोचते हैं कि हिंदी में क्या करेंगे। सिर्फ वे ही छात्र-छात्राएं पीजी में प्रवेश लेते हैं जो शिक्षण कार्य में आगे जाना चाहते हैं। हिंदी, संस्कृत और उर्दू को अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ें, इसके लिए इन विषयों को रोजगारपरक बनाने की जरूरत है। - डॉ. सरिता वर्मा, हिंदी विभागाध्यक्ष, मेरठ कॉलेज
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