जिले में सख्ती होने के चलते उत्तरांचल से हो रही तस्करी
मेरठ। दीवाली के नजदीक आते ही उल्लू की मांग बढ़ गयी है। मेरठ में उल्लुओं के पकडऩे पर सख्ती के चलते पश्चिम उप्र से सटे उत्तरांचल के जंगलों में उल्लुओं का शिकार चोरी छिपे हो रहा है और रात के अंधेरे में इनकी सप्लाई मेरठ और आसपास के जिलों में हो रही है। उल्लू की तस्करी करने वाले हस्तिनापुर सेंचुरी के जंगल को उल्लू के शिकार लिए मुफीद मानते हैं। इसी को देखते हुए दीपावली के मौके पर उल्लू की तस्करी रोकने के लिए वन विभाग ने कमर कस ली है। वन विभाग की इस बार दीपावली से पहले उल्लुओं की तस्करी रोकने के लिए अलग से स्पेशल टीम का गठन किया है।
बता दें इस बार दिवाली शनिवार की पड रही है। ऐसे में काफी संख्या में ऐसे लोग है जो इस मौके पर टोना टोटका करने में विश्वास रखते है। जिसके चलते उल्लू की डिमांड हो गयी है। मेरठ वन्य जीवों पर प्रतिबंध होने के कारण तस्कर उत्तरांखड से इनकी पूर्ति की जा रही है। तस्करों पर नकेल कसने के लिये विभाग ने इस तरह की दो टीमें तैयार की है। इनमें एक टीम शहर के भीतर उल्लू बेचने वालों पर नजर रखेगी तो दूसरी टीम जंगलों में गश्त कर इनके शिकारियों पर नजर रखेगी। इसी के साथ ही अब जंगल में चौकसी को बढ़ा दिया गया है। वन विभाग की मानें तो ऐसे लोगों पर भी नजऱ रखी जा रही है जो पिछले काफी समय से उल्लू की तस्करी में शामिल रहे हैं। ताकि विलुप्त होती इस प्रजाति को शिकारियों और तस्करों की नजर से बचाया जा सके।डीएफ ओ एके मिश्रा ने बताया कि उल्लू को बेचने का मामला सामने आएगा तो दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा। उल्लू प्रतिबंधित पक्षी है इसे बेचने वाला और खरीदने वाला दोनों ही दोषी होता है।
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