जिला अस्पताल में 30 एएनएम को काउंसलिंग प्रशिक्षण दिया गया



गाजियाबाद, 19 नवंबर, 2020। दो बच्चों के बीच तीन साल का अंतर जरूरी है। इससे न केवल बच्चा स्वस्थ पैदा होता है बल्कि मां का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। दरअसल तीन साल के इस अंतराल में मां का शरीर पुनः प्रसव के लिए तैयार हो जाता है। इतना ही नहीं किसी सामान्य परिवार की आर्थिक स्थिति के लिए भी दो बच्चों में तीन साल का अंतर जरूरी है, ताकि गर्भ के दौरान महिला के खानपान का अच्छे से ध्यान रखा जा सके और फिर बच्चे को भी पूरा पोषण मिल सके। मां और बच्चे के स्वस्थ होने से मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर पर भी अंकुश लगेगा, इस उद्देश्य के साथ प्रदेश सरकार परिवार नियोजन के बारे में जागरूकता पर जोर दे रही है। 
गर्भवती महिलाओं की टीकाकरण के दौरान और फिर लेबर रूम में प्रसव के दौरान काउंसलिंग की जिम्मेदारी एएनएम को दी गई है। काउंसलिंग के दौरान एएनएम महिलाओं को दो बच्चों में तीन साल का अंतर रखने और परिवार नियोजन अपनाने के सामाजिक और आर्थिक फायदे बताएंगी। गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण और लेबर रूम में प्रसव के दौरान एएनएम बताएंगी कि दो बच्चों में सुरक्षित अंतर रखने के लिए परिवार नियोजन का एक साधन, जैसे कंडोम, माला- एन या छाया, जरूर अपनाएं और परिवार पूरा होने पर नसबंदी कराएं। जनपद की 30 एएनएम का काउंसलिंग प्रशिक्षण बृहस्पतिवार को जिला एमएमजी अस्पताल में हुआ। जनपद के दो ब्लॉकों से आठ-आठ और दो ब्लॉकों से सात-सात एएनएम प्रशिक्षण में शामिल हुईं। प्रशिक्षण जिला महिला अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डा. सुषमा शर्मा और भोजपुर ब्लॉक के स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी (एचईओ) केपी सिंह ने दिया। इस मौके पर जिला अस्पताल के सीएमएस डा. अनुराग भार्गव भी मौजूद रहे।
दिखाई गई मिसेस एक्स की फिल्म :
काउंसलिंग प्रशिक्षण के दौरान मिसेस एक्स की फिल्म दिखाई गई। 20 मिनट की इस फिल्म में एक गांव में रहने वाली मिसेस एक्स की दुखद मौत की कहानी है। कहानी के मुताबिक एक गरीब किसान की पत्नी मिसेस एक्स एक के बाद एक, कुल सात बच्चों को जन्म देती है। बच्चों में खून की कमी होती है। सातवें बच्चे को जन्म देने के बाद खून की कमी से वह मूर्छा में चली जाती है। परिवार वाले अंत समय में उसे लेकर अस्पताल जाते हैं लेकिन भयंकर रूप से एनीमिक हो चुकी मिसेज एक्स दम तोड़ देती है। दरअसल हुआ यूं कि दूर गांव में रहने वाली मिसेज एक्स को बच्चों के बीच अंतर रखने के लिए न तो कोई जरिया मिला और न ही कोई स्वास्थ्य कर्मी उसकी काउंसलिंग करने पहुंचा, जिससे उसे परिवार नियोजन के सही मायने पता चलते। अब किसी मिसेज एक्स का ऐसा हश्र न हो, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत परिवार कल्याण कार्यक्रम में आउटरीच एरिया तक परिवार नियोजन की जानकारी पहुंचाने का बीड़ा उठाया है।
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