जिला क्षय रोग अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन
- दिसंबर में भेजी जाएगी शासन को रिपोर्ट, हर दो वर्ष में होता है सर्वे
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गाजियाबाद,। एचआईवी/एड्स के खतरे का आकलन करने के लिए हर दो वर्ष में ऐसे समुदायों का सर्वे किया जाता है जो इस संक्रमण के लिहाज से संवेदनशील हैं। संवेदनशील समुदायों में सुई से नशा करने वाले युवा, ट्रांसजेंडर और फीमेल सेक्स वर्करों को शामिल किया जाता है। इन समुदायों में जनपद में कितने लोग वास करते हैं इसकी जानकारी जुटाने के लिए हर दो वर्ष में एक सर्वे किया जाता है। जिला क्षय रोग अधिकारी की अध्यक्षता में सर्वे के लिए टीम का गठन किया गया है। यह सर्वे पूरे देश में राष्ट्रीय एड्स कंट्रोल सोसायटी (नाको) के निर्देशन में किया जाता है।जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि नवंबर और दिसंबर माह के दौरान यह सर्वे जनपद में किया जाएगा। दिसंबर के अंत में शासन को सर्वे की रिपोर्ट भेजी जाएगी। जो उत्तर प्रदेश शासन के जरिए भारत सरकार की संस्था नाको को भेजी जाएगी। शनिवार को जिला क्षय रोग विभाग में आयोजित बैठक के दौरान जिला क्षय रोग अधिकारी डा. जेपी श्रीवास्तव की अध्यक्षता में सर्वे के लिए टीम का गठन किया गया। एड्स नियंत्रण के लिए काम कर रही संस्था नेचुरल केयर के निदेशक डा. पीके खरे को कमेटी का संयोजक नियुक्त किया गया है। डा. खरे ने इस बैठक का संचालन भी किया।
सर्वे में अन्य संस्थाओं अभिव्यक्ति फाउंडेशन और बीजीजेएएस का भी सहयोग लिया जाएगा। कमेटी में एआरटी सेंटर के मेडिकल अफसर डा. शील वर्मा, नेचुरल केयर के प्रोग्राम मैनेजर भारत भूषण और इरशाद, पीएम टीबी/एचआईवी कोर्डिनेटर निधि त्रिखा, आईसीटीसी काउंसलर (एमएमजी अस्पताल) राहुल वर्मा, अभिव्यक्ति फाउंडेशन की प्रोजेक्ट मैनेजर मंजू गोस्वामी और एम एंड ई आफिसर निधि पराशर, बीजीजेएएस डीएमटीआई संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर ममतेश, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लोनी के आईसीटीसी काउंसलर बिहारी ठाकुर, विहान प्रोजेक्ट संस्था की प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर रचना यादव, ओएसटी सेंटर की काउंसलर कविता को शामिल किया गया है।
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