पोस्ट कोविड-19 का असर जांचने के लिये मेडिकल कॉलेज में एंटीबॉडी जांच शुरू
मेरठ । कोरोना वायरस संक्रमण के ८० प्रतिशत से ज्यादा मामले एसिम्टोमैटिक हैं। ऐसे में किसको संक्रमण हुआ, किसको नहीं, यह कह पाना संभव नहीं है। कोरोना संक्रमण के ऐसे ही छुपे हुए लोगों को ढूंढने के लिए मेडिकल कॉलेज में एंटीबॉडी जांच शुरू हो गई है। इसके जरिये जहां हर्ड इम्युनिटी के स्तर की जांच हो सकेगी, वहीं लोगों में एंटी बॉडी बनने की रफ्तार की भी जानकारी मिलेगी। कोरोना संक्रमण की जिले में सही स्थिति जानने में भी मदद मिलेगी।
लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. ज्ञानेंद्र ने बताया कि ऐसे तमाम लोग हो सकते हैं जो कोरोना वायरस संक्रमण से प्रभावित हुए, लक्षण नहीं आये और वह जल्द ही ठीक भी हो गए। ऐसे लोगों में पोस्ट कोरोना असर को जानने में आसानी होगी। इसके अलावा यह भी जानकारी मिलेगी कि कोरोना संक्रमण का लेवल अब शहर में किस स्तर पर है। उन्होंने बताया कि फिलहाल एंटीबॉडी को लेकर स्टाफ की भी जांच की जा रही है।
प्लाज्मा थेरेपी में मिलेगी मदद
किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के पल्मोनरी एंड मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष और कोरोना के लिए मेरठ में तैनात विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि एंटीबॉडी जांच के जरिए ऐसे लोगों की भी पहचान हो सकेगी, जिनकी कोरोना जांच नहीं हुई लेकिन वह कोरोना संक्रमण की चपेट में आये थे। इनकी सूची तैयार की जाएगी ताकि प्लाज्मा थेरेपी के लिए इनकी मदद ली जा सके। उन्होंने बताया कि प्लाज्मा डोनेशन को लेकर बहुत ज्यादा लोग तैयार नहीं है वहीं हर किसी का प्लाज्मा दूसरे मरीज को देने लायक हो यह भी जरूरी नहीं होता है। ऐसे में अधिक से अधिक लोगों की सूची होने से पर्याप्त मात्रा में प्लाज्मा स्टोर करने में मदद मिल सकेगी।
वैक्सीन से पहले इलाज के विकल्प
कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बन पायी है। ऐसे में चिकित्सक अन्य कारगर विकल्पों के सहारे इलाज खोज रहे हैं। इनमें एंटीजन, एंटीबॉडी और टी सेल्स की भूमिका महत्वपूर्ण साबित हुई है।
क्या है एंटीबॉडी
एंटीबॉडी शरीर का वह तत्व है, जिसका निर्माण हमारा इम्युन सिस्टम शरीर के वायरस को बेअसर करने के लिये पैदा होता है। संक्रमण के बाद एंटीबॉडी बनने में कई बार एक सप्ताह तक का वक्त लग सकता है। जब कोई किसी वायरस से संक्रमित हो जाता है तो उसके शरीर एंटीबॉडी बनती है और वायरस से लड़ती हैं। ठीक हुए 100 कोरोना मरीजों में से आमतौर पर 78-80 मरीजों में ही एंटीबाडी बनती है, जिन मरीजों के शरीर में ठीक होने के दो सप्ताह के भीतर एंटीबॉडी बन जाती है तो वह लंबे समय तक शरीर में रहती है। ऐसे लोगों की इम्युनिटी मजबूत होती है। ऐसे मरीज प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं।
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